No video

24 साल से बंद पड़ी एक Sugar Mill जिसके चालू कराने के वादे हर चुनाव में होते हैं || Uttar Pradesh

  Рет қаралды 10,251

Gaon Connection TV

Gaon Connection TV

2 жыл бұрын

सीतापुर जिले की महोली चीनी मिल को बंद हुए इस फरवरी को 24 साल हो गए। कभी इस मिल में 700 गांवों के हजारों किसानों का गन्ना आता था। इसी मिल के सहारे महोली कस्बा बढ़कर तहसील बना। लेकिन मिल अब वीरान पड़ी है। विधानसभा चुनाव के दौरान जब बड़े-बड़े वादे रहे हैं लोगों को फिर थोड़ी उम्मीद बंधी है कि शायद ये मिल दोबारा चालू हो जाए।
लखनऊ-दिल्ली हाई-वे से मुश्किल से 100 मीटर की दूरी पर महोली चीनी मिल का गेट है। जहां फरवरी 1998 से ताला जड़ा हुआ है। इसी गेट पर कभी गार्ड रहे बिहार के जगदीश प्रसाद (65 साल) अब हाई-वे पर पान बेचने को मजबूर हैं।
“मैं यहां सुरक्षा विभाग में था, 25 साल नौकरी की, लेकिन नियमित नहीं था, तो मिल बंद हुई तो कुछ नहीं मिला। अब पान बेच रहे हैं। मिल बंद हुई तो सब बंद हो गया। विकास बंद हो गया। पैसा आना बंद हो गया।” वो कहते हैं।
जगदीश प्रसाद बिहार में वैशाली जिले के मूल निवासी हैं। भूमिहीन हैं तो नौकरी जाने के बाद भी वापस जाने का कोई मतलब नहीं था। आने-जाने वाले लोग अक्सर उनसे मिल के बारे में बाते करते हैं।
जगदीश आगे कहते हैं, “जब चुनाव आता है कहा जाता है मिल चलेगा, चुनाव के बाद मिल बंद (बातें) बंद हो जाता है। अखिलेश जी (अखिलेश यादव) बोले थे चलाएंगे लेकिन नहीं चला। बीजेपी की सरकार बनी तो बोले चलाएंगे, नहीं चली, अब फिर चुनाव है।”
महोली चीनी मिल (दि लक्ष्मी जी सुगर इंडस्ट्रीज) की स्थापना साल 1932 में सेठ किशोरी लाल ने की थी। स्थानीय लोग बताते हैं, इस चीनी मिल का दाना इतना बड़ा और सफेद था यहां की चीनी आर्मी को सप्लाई की जाती थी। लेकिन चीनी मिल की बिगड़ती आर्थिक स्थितियों के पहले कांग्रेस सरकार में इसका अधिग्रहण कर यूपी चीनी निगम को सौंपा गया। लेकिन घाटे और बढ़ते कर्ज़ के चलते 1998 में तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार ने मिल को बंद करने का फैसला किया। उस वक्त मिल पर करीब 7000 का बकाया था। मिल बंद होने से करीब 250 नियमित और 700 से ज्यादा सीजनल कर्मचारी बेरोजगार हो गए। मिल के आसपास काम धंधा कर आजीविका चलाने वाले हजारों लोगों की रोटी-रोटी छिन गई।
कैमरा देखकर मिल के गेट पर पहुंचे पंकज पाडे (40वर्ष) के मुताबिक उनके पिता यहां नियमित कर्मचारी थे, जिनके लाखों रुपए बाकी हैं। वो खुद सीजनल (मिल चालू रहने पर काम) कर्मी थे जिन्हें मिल बंद होने पर खाली हाथ निकाल दिया गया।
महोली गन्ना विकास समिति के सीनियर गन्ना विकास अधिकारी श्रीनारायण मिश्र गांव कनेक्शन को बताते हैं, “ये मिल फरवरी 1998 में जब बंद हुई उस वक्त यहां महोली जोन के 536 गांवों और मैगलगंज (लखीमपुर खीरी जिला) गन्ना विकास समिति के 110 गांवों का गन्ना आता था। महोली जोन के किसानों का गन्ना अब जवाहरपुर चीनी मिल और हरदोई कि दो मिलों हरिगांवा और अजवापुर में जाता है।” गन्ना विभाग के मुताबिक जोन में करीब 70 हजार गन्ना किसान हैं, जिनमें से 66 हजार गन्ने की आपूर्ति भी करते हैं।
मिश्र आगे बताते हैं, “ये पुराने जमाने की मिल थी, जिसकी रोजाना पेराई क्षमता 25 हजार कुंटल थी, अब तो लाखों कुंटल गन्ना रोज पेरा जाता है। गन्ना मिल बंद होने से किसानों पर वैसा कोई असर नहीं पड़ा। क्योंकि गन्ने की आपूर्ति लगातार जारी है। पहले से रकबा बढ़ा है। किसानों को ज्यादा पैसे मिल रहे हैं लेकिन अगर मिल चालू हो जाए तो इलाका विकास जरुर हो जाएगा।”
महोली के सीनियर गन्ना विकास अधिकारी के मुताबिक इस मिल को चलाने की बातें समय-समय पर हुई हैं वो बताते हैं, “24 अक्टूबर 2017 को यूपी राज्य चीनी निगम के महोली चीनी मिल और मथुरा की एक चीनी मिल को शुरु करने के संबंध में पत्राचार किया था। कई अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया था। लेकिन मामला न्याययिक प्रक्रिया के चलते अटक गया।”
पूर्व कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के मुताबिक चीनी मिल से जुड़े कई मामले हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में लंबित हैं। कर्मचारियों के बकाए के अलावा मिल के मालिकों ने भी एक मुकदमा किया है, जिसमें उन्होंने मिल के अधिग्रहण के दौरान कम कीमत लगाए जाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा कर्ज़ के बकाए का भी केस विचाराधीन है।
चीनी मिल में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता और मनोज मिश्रा के मुताबिक ये मिल राजनीतिक शिकार हुई है।
गांव कनेक्शऩ से बातचीत में वो कहते हैं, “ये एशिया की जानी मानी मिल थी जो राजनीतिक शिकार हो गई। मिल बंद होने के लिए कांग्रेसी सरकार और उसके नेता जिम्मेदार हैं। बीजेपी सरकार जब ये मिल बंद हुई इस पर 7000 करोड़ का खर्च हो गया था। लेकिन कांग्रेस सरकार में जब इसका अधिग्रहण किया गया था जो मिल पर जितना बकाया था, उतनी चीनी भरी थी। चुनाव में राजनैतिक दलों के लोग आते हैं कहते हैं हम चलवा देते हैं लेकिन किसी ने सुध नहीं ली।”
मिल थी तो बहार थी, तरक्की थी
मिल के पूर्व कर्मचारी और आसपास के लोगों के मुताबिक जब मिल चालू थी, पूरे इलाके में रौशन थी। मिल के अंदर स्कूल और अस्पताल चलता था। मिल के प्राइमरी स्कूल की आखिरी प्रिसिंपल मंजू मिश्रा (55वर्ष) स्कूल के गेट से कुछ दूरी पर रहती हैं। वो 10 साल तक तैनात रहीं। इससे पहले इसी पद पर उनके पिता थे।
मंजू मिश्रा गांव कनेक्शन को बताती हैं, “बहुत रौनक रहती थी, पूरे इलाके में कोई स्कूल नहीं था तो बच्चे यहीं आते थे। हम लोग भी यहीं के पले-पढ़े हैं। पूरे इलाके में चहल-पहल थी इससे लेकिन इसके बंद होने से लगता है सब ठहर सा गया है। महोली का विकास रुक गया है।
रिपोर्ट Arvind shukla
कैमरा Mo. Arif
#UttarPradesh #upelection2022 #Election #SugarCane #farmers
खबरों के लिए देखिये हमारी वेबसाइट : www.gaonconnect...
Like us on Facebook: / gaonconnection
Follow us on Twitter: / gaonconnection
Follow us on Instagram: bit.ly/2mzwO6d

Пікірлер: 6
@vipinyadav36
@vipinyadav36 2 жыл бұрын
😭😭😭😭😭
@rameshchandrapandey3729
@rameshchandrapandey3729 2 жыл бұрын
Factory ko chalana chahiye jaise piparich aur munderava.
@vipinyadav36
@vipinyadav36 2 жыл бұрын
Kabhi textile ka hal bhi Bata do MP pitampur mein band badi hai
@nitinyadav-vd3xn
@nitinyadav-vd3xn 2 жыл бұрын
महोली औए कमलापुर दोनों मिल बन्द हो गई हैं
@chaudharyritik57
@chaudharyritik57 Жыл бұрын
BJP ne band ki bjp chalaygi 😂😂
@thesuperincridibleaction7508
@thesuperincridibleaction7508 2 жыл бұрын
BJP MODI YOGI JI ♥️♥️♥️♥️
Schoolboy Runaway в реальной жизни🤣@onLI_gAmeS
00:31
МишАня
Рет қаралды 1,1 МЛН
Logo Matching Challenge with Alfredo Larin Family! 👍
00:36
BigSchool
Рет қаралды 12 МЛН
MADE IN BANGLADESH - Inside the fast fashion factories where children work🇧🇩
22:50
Schoolboy Runaway в реальной жизни🤣@onLI_gAmeS
00:31
МишАня
Рет қаралды 1,1 МЛН