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रामो ङेन्तो वह्निपूर्वो नमोSन्त: स्यात् षडक्षर: ।
तारको मन्त्रराजोSयं संसारविनिवर्तक: ।।
रां रामाय नम: -यह षडक्षर मन्त्रराज है । इसका जप अर्थानुसंधानपूर्वक किया जाय तो आशातीत लाभ होता है । मन का चाञ्चल्य नष्ट होकर भगवान के स्वरूप का अनुभव होता है । एक साधक के अनुरोध पर श्रीअग्रदास जी महाराज के अनुसार इसे प्रस्तुत किया जा रहा है ।
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