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अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र। ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय
अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनम् पुरय पुरय नमः॥Asht Lakshmi Kuber mantra
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mantra by H S SHARMA
कुबेर के मंत्र बताएं
धन प्राप्ति के मंत्र
स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति के मंत्र
धन के रक्षक देवता कुबेर के बारे में जानकारी
कुबेर : एक हिन्दू पौराणिक पात्र हैं जो धन के स्वामी (धनेश) व धनवानता के देवता माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) भी हैं। इनके पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
अन्य नाम: धनेश्वर , वैश्रावण , भद्राकान्त , देववर्णिणीनन्दन , यक्षेश्वर ,:धनदाय आदि
निवासस्थान : लंका और बाद में अलकापुरी
मंत्र :
अस्त्र : गदा
जीवनसाथी : भद्रा
संतान : नलकुबेर, मणिभद्र, गंधमादन
सवारी: वराह (देशी सुअर), नकुल (नेवला)
भाई- बहिन: इनके सौतेले छोटे भाई रावण , कुम्भकर्ण और विभीषण थे। इनमें रावण ही बाद में असुरों का सम्राट बना।सूर्पनखा इनकी सौतेली बहिन थी।
कुबेर से संबंधित कथाएं।
१. रामायण की कहानी: इस श्राप के कारण कैद में रखने के बाद भी रावण माता सीता को छू नहीं पाया, जानें क्या है कहानी
पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव ने रावण की तपस्या से खुश होकर उसे वरदान जिसे पाकर रावण पहले से भी ज्यादा शक्तिशाली हो गया और तीनों लोकों को जीतने के लिए निकल पड़ा। त्रिलोक विजय अभियान के दौरान रावण स्वर्ग लोक पहुंचा और कुछ समय के लिए अपने भाई कुबेर के शहर अलका में विश्राम करने लगा।
एक दिन स्वर्ग की अप्सरा रंभा अपने होने वाले पति नलकुबेर से मिलने जा रही थी तभी रास्ते में उसे रावण मिल गया. रंभा की खूबसूरती देखकर रावण उस पर मोहित हो गया. रावण ने रंभा के साथ दुराचार करने की कोशिश की । रंभा ने रावण से कहा कि वह उसके भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की होने वाली पत्नी है और इस नाते उसकी पुत्रवधू के समान है । बावजूद इसके रावण ने रंभा के साथ दुराचार किया। यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि अगर उसने किसी स्त्री की इच्छा के बिना उसे स्पर्श भी किया तो उसके मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएंगे।
२. कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कुबेर चोर थे-चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे। एक बार चोरी करने के लिए एक शिव मंदिर में घुसे। तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था। उसे ढूंढने-पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया।
कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया। जब यह क्रम कई बार चला, तो भोले-भाले शंकर ने इसे अपनी दीप आराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेर को धनपति होने का आशीष दे डाला।
जिन लोगों पर कुबेर देवता की कृपा बरसती है उनके जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। इसलिए लोग कुबेर जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। आज यहां हम कुबेर देव के ऐसे प्रभावशाली मंत्रों के बारे में बात करने जा रहे हैं जो व्यक्ति इन मंत्रों का सच्चे मन से जाप करता है उसे आर्थिक परेशानियों का सामना कभी नहीं करना पड़ता।
१. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धनधान्या समृद्धिम् मे देहि दापय स्वाहा॥
२. अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र- ये मंत्र माता लक्ष्मी और कुबेर देवता का मंत्र है। इस मंत्र के जाप से जीवन में ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा, सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस मंत्र की साधना मुख्य रूप से शुक्रवार की रात को करना शुभ माना गया है। मंत्र इस प्रकार है-
अष्टलक्ष्मी कुबेर मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय
अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनम्
पुरय पुरय नमः॥
३. धन प्राप्ति हेतु कुबेर मंत्र- इस मंत्र के जप से व्यक्ति को सभी भौतिक सुख प्राप्त होते हैं। धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। ऐसे में अगर आप कुबेर देव के धन प्राप्ति मंत्र का नियमित जाप करते हैं तो आपको कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मंत्र इस प्रकार है-
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥
४. ॐ वैश्रवणाय नमः
५. ॐ श्रीं कुबेराय नमः
६. कुबेर का विलक्षण सिद्ध मंत्र-
मनुजवाह्य विमानवरस्थितं गुरुडरत्नानिभं निधिनाकम।
शिव संख युक्तादिवि भूषित वरगदे दध गतं भजतांदलम।।
उपरोक्त मंत्रों का अगर जाप संभव नहीं हो सके तो उनके सुनने मात्र से भी आर्थिक स्थिति बेहतर होने लग जाती है।
७.कुबेर यंत्र
इस यंत्र को तिजोरी या अलमारी में रखने से धन-वैभव में हो सकती है बढ़ोतरी
इस तरह से करें कुबेर यंत्र स्थापित:
कुबेर यंत्र को सोने, अष्टधातु, भोजपत्र, ताम्रपत्र या कागज आदि कई रूपों में प्रयोग किया जाता है। इस यंत्र को घर के पूजन स्थल पर पूर्व दिशा में बुधवार या शुक्रवार के दिन स्थापित करना चाहिए।
कुबेर यंत्र को स्थापित करके रोग कुबेर जी के नीचे दिए गए बीज मंत्रों में से किसी भी एक बीज मंत्र का बीज मंत्र - ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम: का 11 या 21 बार जाप जरूर करें। ऐसा करने से यंत्र का प्रभाव बना रहता है और कुबेर जी का आशीर्वाद आप पर बना रहता है।
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LYRICS - Traditional literatures
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