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अपनी राशि के अनुसार रखें कारोबार का नाम
व्यापार मे संस्था के सही नाम का चयन संस्था के साथ काम करने वाले सभी लोगो के भविष्य से गहरा संबन्ध रखता हैयह उस तरह से है जैसे किसी नये बीज का पेड़ बनना।यदि बीज ठीक नही है तो पूरा पेड़ बेकार होगा उसकी प्रगति नही होगी साथ ही उस पेड़ को नष्ट करने वाले कीटों का प्रकोप भी उसे झेलना पड़ेगा। ज्ञान के प्रति भारतीय मानसिकता बड़ी तिरस्कार पूर्ण है।शादी विवाह मे पत्री मिलाने तथा संस्कार कराने वाले पंडित को दक्षिणा ऐसे देते है जैसे कोई अहसान कर रहे है साथ ही पंडित या देवग्य के प्रति भाव हीनता का ही रहता है फलस्वरूप परिणाम भी ऐसा ही मिलता है जबकि शादी के खानपान तथा अन्य कार्यों मे पैसा पानी की तरह बहाया जाता है।उसी तरह प्रतिष्ठान के नामकरण मे कोई चिंतन नही उसकी ओपनिंग पार्टी मे जम के पैसा खर्च किया जाता है मेरा आशय यह है की यदि आप ज्ञान की कद्र करेंगे तो ज्ञान आपको राह दिखायेगा।रामचरितमानस मे भगवान ने कहा है की श्राप देता हुआ देवग्य भी पूजनीय है यह उन्होने अपने श्रीमुख से यूँ ही नही कहाँ होगा।
कैसे रखें प्रतिष्ठान का नाम
किसी भी फर्म कारखाना दुकान या किसी भी संस्था का नाम उसका मुकुट या बीजारोपण होता है जब हम किसी पेड़ को लगाते है तो सही भूमि सही समय का चयन करते है।इसके बाद वह पेड़ फलता फूलता है तब हम उसकी शीतल छांव मे आश्रय लेते है उसके फल खाते है।इसी तरह फर्म के नामकरण के समय सभी सदस्यों की पत्रिका अपनी कुल की परम्परा अपने कुल के देव कुल का हानि लाभ भाग्यवर्धक दिशा का चयन करना चाहिये।जिस स्थान मे फर्म डाल रहे है उस स्थान की भूमि कैसी है उसके वास्तुदोष का भी निराकरण करना चाहिये।
भाग्यवर्धक नामअक्षर
फर्म आपकी मां होती है जिस तरह मां सभी को पालती है उसी तरह फर्म भी सभी का पोषण करती है इसके साथ सभी लोगों को भाग्य जुड़ा रहता है।इसिलिये अच्छी तरह से सोच समझकर पंजीकरण किया गय़ा नाम आपके भाग्य को बुलंदियों पर पहुँचाता है।
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