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किसी के गुरु या भगवान के प्रति पूर्ण आज्ञाकारिता के लिए लोगों को पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है।इसके लिए व्यक्ति को अपने शरीर और इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखने की भी आवश्यकता होती है। यहाँ श्री सत्य साईं बाबा की उपस्थिति में रचित आधुनिक तैत्तिरीय उपनिषद की कहानी है। बोनस स्वामी का स्वयं का वर्णन है कि उपनिषद कैसे अस्तित्व में आया।