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अज़ीज़ नाज़ाँ साहब का बेहद पॉपुलर सलाम है, जो शायद उन्होंने सबसे ज़ियादा गाया होगा। इसे बाद में जब रेकॉर्ड करवाया तो नया वर्शन मुजफ्फर वारसी ने लिखा था, लेकिन फिर भी यही वर्शन सबसे ज़्यादा मक़बूल है।
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