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बाबा रैपा चौधरी जी कौन है? बाबा रैपा चौधरी और महाऋषि मार्कंडे की पूरी कहानी |
Story By:- Kuldeep Ranga
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बाबा रैपा चौधरी जी को हस्तिनापुर के राजा जन्मेजय का अवतार माना जाता हैं| कहा जाता है कि जब जन्मेजय अपने पिताजी राजा परीक्षित की मौत का बदला लेने भगवान के पास जाते है तब भगवान विष्णु जी उन्हें कैद कर लेते हैं|
उसी समय माता पार्वती और शिव महाराज वहाँ पहुंचते है तब जन्मेजय का भोर यानी आत्मा माता पार्वती के शरीर मे प्रवेश कर जाती है| और भगवान शिव के पूछने पर जन्मेजय का भोर बोलता है, कि मुझे इस संसार में रहना है|
हे! शिव शंकर मुझे कोई नाम दो जिससे की इस दुनियां में मैं जाना जाऊं| तब भोले नाथ जन्मेजय के भोर को रैपा चौधरी नाम देते है और इस प्रकार रैपा चौधरी बाबा जी का जन्म होता है|
शिव शंकर भोलेनाथ उनको पटे की सेवा बता कर चले जाते है|
दूसरी और हिमाचल प्रदेश के शहर खरकर में एक देवदास ब्राह्मण जोकि निःसन्तान दंपति थे, भगवान शिव की आराधना करते है| उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ उनको पुत्र प्राप्ति का वरदान देते है और उसका नाम मारकण्डा रखने के लिए कहते है| लेकिन ये बताते है, कि उनका पुत्र मात्र ग्यारह वर्ष तक ही जीवित रहेगा और जैसे ही बारहवें वर्ष में प्रवेश करेगा उसकी मृत्यु हो जाएगी|
कुछ समय बाद मारकंडा का जन्म होता है जैसे ही वो बच्चा मारकण्डा ग्यारह साल का होता है, उसके माता- पिता शिव महाराज के वरदान के बारे मे उसे बताते है|
इतनी बात सुनते ही बालक मारकंडा घर त्याग कर भगवान शिव की आराधना करने लगता है और जब उसकी मृत्यु का समय नजदीक आता है तो यमराज के दूत उन्हें लेने आते है लेकिन दूत मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाते|
तब खुद यमराज उन्हें लेने आते है और जब मन्दिर में प्रवेश करने लगते है तो एकाएक रोशनी उनके चेहरे पर पड़ती है और यमराज भी प्रवेश नहीं कर पाते|
तब यमराज अपनी रस्सी फेंक कर बालक मारकण्डा की गर्दन में डाल कर खिंचते है| बालक मारकण्डा शिवलिंग को बाहों में भर लेते है और मारकण्डा के साथ शिवलिंग भी खींच जाती है और साथ में पूरी पृथ्वी भी खींच जाती है|
तब भगवान शिव वहां प्रकट होते है और यमराज से मारकण्डा की जान छुड़वाते है और उन्हें ऋषि का दर्जा देते है, तब से बालक मारकण्डा महाऋर्षि मारकण्डा के नाम से जाने गए|
फिर भगवान शिव बाबा रैपा चौधरी को खरकर गांव में लेकर आते है और रैपा चौधरी को महाऋषि मारकण्डा के शिष्य बनाते है|
रैपा चौधरी बाबा जी महाऋषि मारकण्डा की सेवा करते है और उनसे ख्वाजा पीर को पाने के वरदान लेते है और तब से रैपा चौधरी जी के पटे यानी पूजा का सामान ख्वाजा जी में जाता है|
तो दोस्तों ये थी कहानी बाबा रैपा चौधरी और मारकंडे ऋषि की|
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