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बासमती धान की खेती कैसे करें और किन बातों का रखे ध्यान | Basmati rice cultivation and tips!
बासमती धान विश्व मे अपनी एक विशिष्टि सुगंध तथा स्वाद के लिए भली भांति जाना जाता है। बासमती धान की खेती भारत में पिद्दले सैकड़ो वर्षो से होती रही है। भारत तथा पाकिस्तान को बासमती धान का जनक माना जाता है। हरित क्रन्ति के बाद भारत में खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता प्राप्त करके बासमती धान की विश्व में मॉग तथा भविष्य में इसके निर्यात की अत्यधिक संभावनायें को देखते हुए इसकी वैज्ञानिक खेती काफी महत्वपूर्ण हो गयी है। किसी भी फसल के अधिक उत्पादान के साथ साथ अच्द्दी गुणवत्ता में फसल की किस्मो का अत्यधिक महत्व है।
धान विश्व की तीन महत्वपूर्ण खाद्यान फसलों में से एक है जोकि 2.7 बिलियन लोगों का मुख्य भोजन है। इसकी खेती विश्व में लगभग 150 मिलियन हेक्टेयर एवं एशिया में 135 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है। भारतवर्ष में लगभग 44 मिलियन हेक्टेयर तथा उत्तर प्रदेश में करीब 5.9 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती विभिन्न परिस्थितियों: सिंचित, असिंचित, जल प्लावित, असिंचित ऊसरीली एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में की जाती है। विभिन्न् परिस्थितियों अर्थात् अनुकूल सिंचित एवं विषम परिस्थितियों हेतु धान की उच्च उत्पादकता वाली संकर प्रजातियों के विकास पर बल दिये जाने की आवश्यकता है।
आज हम बात करेंगे बासमती धान की खेती की, किसान बासमती धान की खेती वैज्ञानिक तरीके से करें। धान में आवश्यकता अनुसार ही रसायनों का प्रयोग करना चाहिए। किसान बासमती धान की खेती तो करते हैं पर कुछ तकनीकि चूक के कारण अच्छा लाभ नहीं कमा पाते, सबसे पहल बीज का चयन करें, धान की नर्सरी के लिए ऊचा स्थान चुनें, धान के बोआई कभी भी सूखी ना करें, क्यारियां बनाए तो ऊंचाई में बनाएं। सामान्य किस्मों की तरह ही की जाती है। परीक्षणों से सिद्ध हो चुका है कि संकर प्रजातियां सामान्य प्रजातियों की तुलना में 10-12 कुन्तल/हेक्टेयर अधिक उपज देती है क्योंकि इनमें प्रति पौध बालियों तथा प्रति बाली दानों की संख्या अधिक होने के साथ-साथ विषम परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।
बासमती धान की अच्छी पैदावार तथा उत्तम गुणवत्ता लेने के लिए अच्छी प्रजाति के बीज का चुनाव अत्यन्त महत्वपूर्ण व आवश्यक है। एक अच्छी प्रजाति के बीज में निम्नलिखित गुण होने चाहिये।
अधिक पैदावार
उत्तम गुणवत्ता
कीट तथा रोग के लिए प्रतिरोधी
कम ऊँचाई तथा कम समय में पकने वाली
बाजार में अधिक मॉग तथा अच्द्दी कीमत वाली होनी चाहियें।
रोपाई के समय के अनुसार अगेती, पद्देती तथा उपरोक्त गुणों वाली प्रजाति के शुद्ध एवं अधिक अंकुरण क्षमता वाले बीज का चयन करना अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक है।
जलवायु व तापमान :
धान का पौधा एक गर्म व नम जलवायु का पौधा है | इसके पौधे के वृद्धि व विकास के लिए 21 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है 50 से 500 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जाती है |
बीज का उपचार
बासमती धान की खेती की नर्सरी तैयार करना
बासमती धान की खेती की रोपाई करना
खाद व उर्वरक प्रबन्धन
बासमती धान की फसल पर सिंचाई व खरपतवार नियंत्रण करना
बासमती धान की फसल में सिंचाई व जल प्रबन्धन करना
बासमती धान की फसल पर लगने वाले कीट का रोकथाम करना यानि फसल सुरक्षा प्रबन्धन करना