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“न द्वारका में मिलें बिराजे, बिरज की गलियों में भी नहीं हो,
न योगियों के हो ध्यान में तुम, अहं जड़े ज्ञान में नहीं हो,
तुम्हें ये जग ढूँढता है मोहन, मगर इसे ये ख़बर नहीं है,
बस एक मेरा है भाग्य मोहन, अगर कहीं हो तो तुम यहीं हो..!”
#kumarvishwas #शुभ_जन्माष्टमी🙏🏻
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