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घनश्यामदास बिड़ला भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति और बिड़ला समूह के संस्थापक थे। उनके द्वारा स्थापित बी. के. के. एम. बिड़ला समूह की परिसंपत्तियाँ लगभग 195 अरब रुपये से अधिक है। स्वाधीनता आन्दोलन के समय भी उनका अमूल्य योगदान रहा। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान उन्होंने पूंजीपतियों से राष्ट्रीय आन्दोलन का समर्थन करने एवं कांग्रेस को मज़बूत करने की गुज़ारिश की। घनश्याम दास ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का समर्थन किया और राष्ट्रीय आन्दोलन के लिए अनेक मौकों पर आर्थिक सहायता भी दी। इसके साथ- साथ उन्होंने सामाजिक कुरीतियों का भी विरोध किया और सन 1932 में गांधीजी के नेतृत्व में हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष बने। वे महात्मा गाँधी के करीबी मित्र, सलाहकार एवं सहयोगी थे। उनके द्वारा स्थापित बिड़ला समूह का मुख्य व्यवसाय कपड़ा, विस्कट फ़िलामेंट यार्न, सीमेंट, रासायनिक पदार्थ, बिजली, उर्वरक, दूरसंचार, वित्तीय सेवा और एल्युमिनियम जैसे क्षेत्रों में फैला है। देश के प्रति उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए भारत सरकार ने सन् 1957 में उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से सम्मानित किया। वे भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के भी सह-संस्थापक थे। यह संस्था भारत के व्यापारिक संगठनों का संघ है।
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