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भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की बेहतरीन कविताओं में से एक "भारत जमीन का टुकड़ा नही" भारत देश को केवल एक जमीन के टुकड़े के रूप में न देखते हुए उसे पूर्ण राष्ट्रपुरुष के रूप में अभिव्यक्त करती है।यह कविता देशप्रेम की श्रेष्ठ अभिव्यक्ति को अभिव्यक्त करते हुए राष्ट्र के प्रति सम्पूर्ण जीवन के समर्पण का भाव व्यक्त करती है।पुनः अटल आज अटल जी की इस बेहतरीन कविता को एक नए रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा है।आप सभी हमारी इस कोशिश में अपना अमूल्य सहयोग बनाये रखे।
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं,जीता जागता राष्ट्रपुरुष है।
हिमालय इसका मस्तक है,गौरी शंकर शिखा है कश्मीर किरीट है।
पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं,
विन्ध्याचल कटि है,नर्मदा करधनी हैं।
पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघायें हैं।
कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है।
पावस के काले काले मेघ इसके कुंतल केश है,
चाँद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं।
यह वन्दन की भूमि है,अभिनन्दन की भूमि है,
यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है।
इसका कंकर-कंकर शंकर है,इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है,
हम जिएँगे तो इसके लिये, मरेंगे तो इसके लिये।
और मरने के बाद भी गंगा में बहती हुई हमारी अस्थियों,
में यदि कोई कान लगा कर सुनेगा तो
उसे केवल एक ही आवाज सुनाई देगी
भारत माता की जय!
-अटल बिहारी वाजपेयी
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Background Music Credits-
VANDE MATARM FLUTE BY RAJESH CHERTHALA(RC)
Atal Bihari Vajpayee poem - #Atal_Bihari_Vajpayee
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