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भगवान् श्रीराम ना केवल भारतीय संस्कृति बल्कि भारतीय इतिहास का भी एक प्रमुख चरित्र है। जब उन्हें वनवास मिला तो उन्होंने इस आपदा को भारत के महान ऋषियों और तपस्वियों के ज्ञान प्राप्त करने का सुअवसर समझा। इसी कारण वनवास की अपनी यात्रा में वे सबसे पहले पहुंचे प्रयागराज में स्थित ज्ञान और विज्ञान के सागर ऋषि भारद्वाज के आश्रम में।
भरद्वाज मुनि बसहिं प्रयागा। तिन्हहि राम पद अति अनुरागा॥
तापस सम दम दया निधाना। परमारथ पथ परम सुजाना॥
ऋषि भारद्वाज ने भगवान् राम, देवी जानकी और लक्ष्मण का स्वागत किया और अपने ज्ञान से उनका मार्गदर्शन किया। ऋषि भारद्वाज ने ही श्रीराम को चौदह वर्ष चित्रकूट में निवास करने का सुझाव दिया था। क्योंकि यह स्थान हर प्रकार से शांत, सुरक्षित और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर था।
इसके बाद जब भरत श्रीराम को वापस लाने के लिए चित्रकूट जा रहे थे, तब उन्होंने भी प्रयाग में रुक कर भरद्वाज ऋषि का आशीर्वाद लिया था। यही नहीं रावण का संहार करके जब श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या वापस लौट रहे थे, तब भी भरद्वाज ऋषि का आशीर्वाद लेने के लिए उन्होंने कुछ समय भरद्वाज आश्रम में ही बिताया था।
इस आश्रम में भारद्वाज ऋषि ने एक शिवलिंग स्थापित किया था। यह शिव विग्रह आज भी पूजा जाता है। इन्हें भारद्वाजेश्वर शिव कहा जाता है।
यहाँ ऋषि अत्री व उनकी पत्नी अनुसूया, ऋषि याज्ञवल्क्य, ऋणमोचन, पापमोचन, सत्यनारायण एवं देवी के कई रूपों को समर्पित मंदिर हैं। भगवान् शिव यहाँ कोटेश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं।
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Products I used for making this Video :
Camera:- amzn.to/2yjfUAa
Gopro Camera:- amzn.to/2JOVqk2
Audio Recorder:- amzn.to/2ta1In5
Recorder Accessory Pack :- amzn.to/2HPNGMV
Color Mic:- amzn.to/2l8HEhf
Handheld Camera Stabilizer :- amzn.to/2LSRxuZ
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