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देखीये कुछ इस तरह से होती है पहाड़ के दूर दराज गाँव मे पांडव लीला Sandeep Pundir Vlogs
हमारी संस्कृति हमारी पहचान
जय श्री भुमिया नगेला नागेन्द्र देवता भगवान नागेन्द्र देवता की उत्पति कुमाऊँ गढ़वाल मे केलाकूरी मे हुई इसलिये इन्हे केलाकूरी का राजा कहा जाता है
भगवान नागेन्द्र देवता महाराज मानसरोवर के नाती थे और इनके पिता का नाम समदेव था और माता का नाम फुल्माआ था
नागेन्द्र देवता भगवान नारायण के अवतार है और बहुत ही शक्तिशाली भी है नागेन्द्र देवता सिर्फ 6 महीने के थे जब उन्होने कुमाऊँ से ले कर गढ़वाल मंडल तक कहीं जगहों पर अपने स्थान चुनें उनमें से इस कुछ इस प्रकार से है 1 तिरसुली गाठा 2 देवाल्खाल ३ कर्णप्रयाग ४ श्रीनगर ५ पकोडिया का पाणी ६ मैतीयो का कुडांग ७ रतकोट बिंदी ८ बजरा की गादी ९ लस्या की थाती कुंड सोड और आखिर कार भगवान नागेंद्र देवता ने अपना आखरी स्थान कुंड सोड चुना
और आज नागेंद्र देवता कही जगहो पर प्रचाधारी है कही जगह उनके मेले उनकी जात होती है और इन्हे भूमिया देवता भी कहा जाता है
भगवान् नागेंद्र देवता की शक्ति का कोई अनुमान नहीं लगा सकता वो सदैव अपने भक्तो पर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते है भक्ति मे ही शक्ति होती है इस लिए मे भगवान् महाराज नागेंद्र जी के चरणों मे सिर झुकाता हु की वो इसी तरह अपनी दया दृष्टि अपने भक्तो पर बनाए रखे
धन्यवाद जय नागेंद्र जय महेंद्र सदा अमर रह तू
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