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यह कहानी वीर और आम के पेड़ की है। बचपन में वीर पेड़ के साथ खूब खेलता था, लेकिन बड़ा होने पर उसकी जरूरतें बदल गईं। पहले उसने पेड़ के आम बेचे और खिलौने खरीदे, फिर उसकी लकड़ियाँ काटकर मकान बनाया और अंत में तना काटकर नाव बनाई। अंत में, जब वीर बूढ़ा हो गया, तो वह पेड़ के पास केवल आराम करने आया। पेड़ ने उसे अपनी जड़ों में बैठने दिया और दोनों ने मिलकर अपने सुख-दुख साझा किए।