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प्रत्येक देश या नगर के कुछ नियम होते हैं परंतु इस प्रेम नगर के नियम व शर्तें सर्वथा अद्भुत व अनूठे हैं।
इस नगर में एक और एक मिलकर भी एक ही रहता है, प्रेम पाने के लिए प्रेम देना पड़ता है, प्रेम में किसी को पाया नहीं जाता वरन स्वयं को ही मिटाना पड़ता है, प्रेम को जितना बाँटा जाए ये और बढ़ता है, तो आइए श्रद्धेय विनोद अग्रवाल जी के साथ इस प्रेम नगर की ओर जिसको साधारण दुनिया क्या जाने और अंत में
उल्टी ही चाल चलते हैं इश्क में दीवाने
आंखों को बंद करते हैं दीदार के लिए
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