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2008 में अमेरिका ने "प्रोजेक्ट कैसेंड्रा" लॉन्च किया. इसका मक़सद यह पता करना था कि लेबनान का हिज़्बुल्लाह संगठन अपनी सैन्य और आतंकवादी गतिविधियों को फाइनेंस करने के लिए ड्रग की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग का उपयोग कैसे करता है. तीन भाग की यह श्रृंखला इस प्रोजेक्ट की कहानी बताती है.
ये श्रृंखला डीईए एजेंटों और प्रोजेक्ट में सीधे तौर पर शामिल अन्य लोगों की गवाही के माध्यम से "प्रोजेक्ट कैसेंड्रा" की कहानी बताती है. यह एक ऐसी कहानी है जो हिज़्बुल्लाह के इतिहास और उसके उत्थान को समझने में मदद करती है और एक जटिल भू-राजनीतिक कहानी को दर्शकों के व्यापक वर्ग के सामने लाती है.
14 फरवरी, 2005 को लेबनान के पूर्व प्रधान मंत्री रफ़ीक हरीरी की हत्या ने लेबनान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सदमे में डाल दिया. सभी की निगाहें सीरिया पर टिक गईं, जिस पर हत्या के पीछे होने का आरोप लगाया गया था. बशर अल-असद की सेना, जिसने लेबनान के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था, स्थानीय आबादी के दबाव में पीछे हटने के लिए मजबूर हो गई. सीरिया की वापसी के साथ, हिज़्बुल्लाह ने एक दीर्घकालिक सहयोगी और रक्षक खो दिया. और उसने खुद को सुर्खियों में पाया. उस पर हरीरी की हत्या में शामिल होने का संदेह था.
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