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Ganga का मायका | Uttarkashi का सबसे खूबसूरत गांव : Mukhba Village
Ganga का मायका | Uttarkashi का सबसे खूबसूरत गांव : Mukhba Village | Visit Gangotri
मुखबा गांव भागीरथी नदी के किनारे स्थित है जो देहरादून से करीब 218 किमी की दूरी पर बसा है ।गंगोत्री नेशनल हाईवे पर धराली से 2 किमी की पैदल दूरी से मुखबा गांव पहुचा जा सकता है।हर्षिल से मुखबा तक सड़क से भी जा सकते है।मुखबा गांव में गंगोत्री मंदिर के पास ही समेश्वर देवता का मंदिर है जिन्हे मां गंगा का भाई भी कहा जाता है।हर साल जब अक्षय तृतीया के दिन कपाट खोले जाते है तो समेश्वर देवता अपनी बहन को छोडने गंगोत्री तक जाते है।
मुखबा गांव उत्तरकाशी जिले के उपला टकनौर पट्टी का सीमांत गांव है।1962 युद्व से पहले घाटी का सीमांत गांव जादुंग था लेकिन अब जादुंग,निलंग गांव खाली हो चुके है।इसके ठीक सामने धराली गांव स्थित है जहां पर भगवान शिव का प्राचीन कल्पकेदार मंदिर है।यह गाँव अपने सेब के बगीचों के लिए भी प्रसिद्ध है।
मुखबा गांव को गंगोत्री मंदिर के तीर्थ पुरोहितों का गांव भी कहा जाता है। इतिहासकार पं हरिकृष्ण रतूडी ने गढ़वाल का इतिहास में बताया कि पहले गंगोत्री मंदिर की पूजा अर्चना धराली के बुढेरे खस राजपूत किया करते थे लेकिन 1803 में विशानकारी भूकंप के बाद गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने जब 1807 में दोबारा मंदिर का पुनर्निमाण करवाया तो उन्होने ने ही सेमवाल जाति के ब्राहम्णों को मुखबा में बसाया।स्थानीय पुरोहित उमारमण सेमवाल अपनी किताब में इस तर्क का खंडन करते है।वे लिखते है कि पहले से ही सेमवाल जाति के पुरोहित गंगोत्री मंदिर की पूजा अर्चना करते रहे है और टिहरी के राजा की तरफ से कई सनद उन्हें दी गई थी।गोरख्याली यानी गोरखाशासन काल में मुखबा गांव से सेमवाल तीर्थ पुरोहित कही चले गए, बाद में अमर सिंह थापा ने दोबारा गंगोत्री मंदिर की पूजा अर्चना का अधिकार उन्हे सौंप दिया।
मुखबा गांव मां गंगा का मायका भी कहा जाता है।हिमालय की सुदर्शन,श्रीकंठ और बंदरपुछ पीक्स की तलहटी में बसे इस गांव में आप गंगा मैय्या की भोग मूर्ति और चरण पादुका का इत्मिनान से दर्शन कर सकते है।सर्दियों के समय पूरे गांव में विरानी सी छा जाती है लेकिन मंदिर की पूजा अर्चना अनवरत चलती रहती है।गांव का ऐसा सम्मोहन है कि आप देवदार के पेडों,शांत बहती भगीरथी और बर्फीली चोटियां को घंटो तक अपने में समाहित कर सकते है।सदियों से आध्यात्म की खोज में इस घाटी में श्रद्वालु और संत आते रहे है।
प्रकाश सिमल्टी (हर्षिल )-7982404483
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मुखबा से 1 किमी की दूरी पर मारकंडे मंदिर स्थित है जहां पर मां अन्नपूर्णा का भी मंदिर है।हर दिन मुखबा में पूजा अर्चना का शुभारंभ मार्कन्डय मंदिर से गंगा जल लेकर शुरु होता है।बरसात हो या फिर बर्फ की सफेद चादर हर दिन मार्केडेय मंदिर से गंगा जल लेकर पुजारी मां गंगा की पूजा करते है।
पौराणिक मान्यता है कि यहीं पर मार्कडेय ऋषि ने तप कर अमरत्व का वरदान प्राप्त किया था।स्कंदपुराण के केदारखंड में मुखबा का पौराणिक महत्व बताया गया है कि गंगोत्री और मुखबा में तीर्थयात्रियों को गंगा मैय्या के दर्शन का समान पुण्य मिलता है।
मुखबा का ऐतिहासिक सम्बन्ध फेडरिक विल्सन से भी है। विल्सन ने इसी गाँव की दो महिलाओं के साथ शादी की।इस गांव में करीब साढे चार सौ परिवार रहते है लेकिन सर्दियों में मात्र 10 से 15 परिवार ही गांव में प्रवास करते है।समुद्र तल से 2583 मी की ऊचाई पर मुखबा गांव बसा हुआ है।
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