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Credits:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन...भक्तों विश्व धरोहर सिटी के रूप में जाने जानेवाले जयपुर में ऐतिहासिक, धार्मिक, पुरातात्विक स्थलों की कोई कमी नहीं है। यहां दर्जनों महल, किले, मंदिर हैं जिनका अपना अलग-अलग महत्व है। ऐसा ही एक मंदिर है गालता मंदिर…
मंदिर के बारे में:
भक्तों, गालताजी मंदिर, जयपुर शहर के बाहर अरावली पहाड़ियों के मध्य स्थित एक ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है। जहां कई मंदिर, पवित्र कुंड, मंडप और प्राकृतिक झरने हैं। यह मनोहर मंदिर एक पहाड़ी इलाके के दिल में स्थित होकर खूबसूरत घाट से घिरा होने के कारण दर्शनार्थियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है, यहाँ हमेशा यात्रियों और सैलानियों का जमावड़ा रहता है। इस विशाल मंदिर के विशाल परिसर में कई मंदिर स्थित हैं। इस मंदिर की दीवारें नक्काशी और चित्रों से भरी हुई हैं जो मंदिर के अप्रतिम तथा अभूतपूर्व सौन्दर्य के प्रमुख हेतु हैं। इसीलिए गालता जी मंदिर प्रकृतिप्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए अत्यंत रुचिकर स्थान है।
मंदिर की वास्तुकला:
भक्तों राजस्थान के राजसी शान की याद दिलाता, गालता जी मंदिर अपनी वास्तुकला की वजह से जाना जाता है। गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरों से बना यह शानदार मंदिर, किसी पारंपरिक मंदिर की तरह नहीं बल्कि भव्य महल या 'हवेली' की तरह दिखता है मंदिर को चित्रित दीवारों, गोल छत और स्तंभों से सजाया गया है। इस पूर्व-ऐतिहासिक मंदिर परिसर में भगवान राम, भगवान कृष्ण और हनुमान जी आदि के मंदिर स्थित हैं। इस मंदिर में भजनों और मंत्रों गूंज श्रद्धालुओं को एक शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है।
गालता जी मंदिर का इतिहास:
भक्तों गालता जी मंदिर की शानदार गुलाबी बलुआ पत्थर की संरचना दीवान राव कृपाराम द्वारा बनाई गई थी जो सवाई राजा जय सिंह द्वितीय के दरबारी थे। गालता मंदिर 16 वीं शताब्दी की शुरुआत से रामानंदी संप्रदाय से संबंधित साधु संतों, महंतों और योगियों का आश्रय स्थल रहा है।
संत गालव की तपस्थली गालता:
भक्तों गालता जी मंदिर के बारे में बताया जाता है कि संत गालव ने सौ साल तक इस पवित्र स्थान पर तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान उनके सामने प्रकट हए और उस पवित्र स्थान को, आशीर्वाद स्वरूप पवित्र जल दिया। संत गालव को सम्मानित करने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया और उन्ही के नाम पर इसका नाम रखा गया। ऐसा भी बताया जाता है कि इस जगह पर तुलसीदास द्वारा पवित्र रामचरित्र मानस के खंड लिखे गए थे यद्यपि इसका कोई साक्ष्य नहीं है।
मंदिर का प्रकृतिक सौन्दर्य:
भक्तों गालता जी मंदिर अरावली पहाड़ियों में स्थित है। जो घने पेड़ों और झाड़ियों से घिरा हुआ है। जयपुर के सबसे खास दर्शनीय स्थलों में से एक गालता मंदिर, अपने प्राकृतिक पानी के झरने और सात प्रकृतिक पानी के कुंडों लिए सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। इस मंदिर परिसर में झरने का पानी स्वचालित रूप से फैलता है और सात पवित्र कुंडों में इकट्ठा हो जाता है। इस प्राकृतिक झरने की सबसे खास बात यह है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता। जो यहां आने वाले पर्यटकों को चकित कर देता है। इन सभी कुंडों में से गालता कुंड को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है और यह कभी नहीं सूखता। यहां गौमुख से शुद्ध और साफ पानी बहता रहता है।
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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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