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कीट विशेषज्ञ मनवीर रेढू हरियाणा में रहते हैं। पिछले कई वर्षों से लोगों को कीटों की दुनिया के बारे में जागरूक कर रहे हैं। वो कीट साक्षरता मिशन शुरू करने वाले डॉ. सुरेंद्र दलाल के अहम साथी भी रहे हैं। हरियाणा और पंजाब में उनसे जुड़े सैकड़ों किसान बिना कीटों (insects ) को मारे खेती कर रहे हैं।
किसानाचार्य मनवीर रेढू कहते हैं, "कीट दो प्रकार के होते हैं एक शाकाहारी और दूसरा मांसाहारी। मांसाहारी कीट (vegetarian insects) को मैं मित्र कीट नहीं कह सकता हूं और शाकाहारी कीट (vegetarian insects) को भी मैं दुश्मन कीट नहीं कह सकता हूं क्योंकि शाकाहारी कीट भी पौधों की जरूरत के हिसाब से आते हैं। मैं सिद्ध कर सकता हूं कि कौन सा कीट किस जरूरत के हिसाब से आया है।"
हरियाणा में कपास की फसल पर लगातार कीटों का प्रकोप बढ़ता जा रहा था। वर्ष 2001 में अमेरिकी सुंडी से फसल को बचाने के लिए किसान एक-एक फसल में 30-30 स्प्रे कर रहे थे। उसी दौरान हरियाणा में कृषि विकास अधिकारी रहे डॉ. सुरेंद्र दलाल ने कीटों पर शोध शुरू किया और कीट साक्षरता मिशन की शुरुआत की। डॉ. दलाल ने बताया कि कीट किसानों के दुश्मन नहीं होते, बस उनकी संख्या को नियंत्रित करने की जरूरत होती है।
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