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माँ धूमावती की साधना अत्यधिक कठिन मानी गयी है, क्योंकि यह देवीजी का अत्यधिक उग्र स्वरुप है। इनकी शक्ति को संभालना सबके लिए संभव नहीं है। बाबाजी ने जब उनकी साधना आरम्भ की तो अनेक अनुभूतियाँ हुई। प्रत्येक साकार स्वरुप का एक मन्त्र होता है जो उसकी आत्मा या चेतना है। माँ धूमावती की बाबाजी को सौम्य अनुभूति हुई क्योंकि उन्होंने उनका मातृ रूप में ध्यान किया।
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