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हम अपने बच्चों को जब जन्म देते हैं गजब हो गया गोद में उतरता है उसमें जब चेतना आ जाती है तो फिर उसे स्कूल में दाखिला करते हैं उसके लिए लंच बनाते हैं उसका आने का इंतजार करते हैं जब वह स्कूल से आता है तो उसे खाना खिलाते हैं उसके स्कूल से आने के बाद उसे लाड प्यार करते हैं अन्य बच्चों के जैसा उसको स्कूल जाते देखा और आते देख अपनी बचपन को याद करते हैं उसे खेलते देखा अपनी बचपन को याद करते हैं तो फिर उसी तरह से पेड़ से प्यार क्यों नहीं करते उसे अपना घर का सदस्य क्यों नहीं मानते उसके लिए इंतजार क्यों नहीं करते उसे हम अपने से अलग क्यों मानते हैं वृक्ष न कुछ बोलते हुए भी हमें अनेक प्रकार के लाभ को पहुंच आती है पर वृक्ष के बारे में हम जरा सा भी नहींसोचते हैं।