सर्व शक्ति मान प्रकृति ने जब प्राणियों का निर्माण किया तो सबसे पहले ब्रह्माण्ड के उस हिस्से का का उपयोग किया जहाँ प्राणियों को उनके जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति की प्रमुख आधारभूत आवश्यकतायें सहज ही उपलब्ध हों, जैसे 👉आक्सीजन, जल, आनाज, वनस्पतियां, औषधियाँ, सहज ही उपलब्ध हों, वह जगह इस ब्रह्माण्ड में पृथ्वी है, इसी पृथ्वी पर प्रकृति रूपी ईश्वर ने प्राणियों का निर्माण किया, क्योंकि इसी पृथ्वी सभी प्राणियों के जीवन क्रम को सुचार रुप से चलाने के आधार , क्रमशः👉 आक्सीजन, जल, फल, अनाज, औषधियाँ सहज ही इसी पृथ्वी पर सदियों से उपलब्ध थी, उपलब्ध हैं, और उपलब्ध रहेंगी | सृष्टि निर्माण के आरम्भ से लेकर अब तक और भविष्य में भी कई युगों तक सभी प्राणियों को जीवन क्रम को सुचार रुप से चलाने के लिए आक्सीजन, जल, फल, आनाज, औषधियाँ उपलब्ध रहेंगी और सभी प्राणियों का जीवन क्रम चलता रहेगा | 👉 किन्तु इन्ही प्राणियों में अपने मुख से अपने को सर्वश्रेष्ठ कहने वाली संसार की "प्रथम दम्भी" जाति मनुष्य ने ही प्रकृति द्वारा मुहैया कराई गई जीवन के मूल आधार आक्सीजन, जल, फल, आनाज, औषधियों के उपयोग से सुचार रुप से चल रहे जीवन क्रम में अचानक अनावश्यक "इच्छा" के चंगुल में जैसे ही फंसा वहीं से केवल और केवल मनुष्य ने प्रकृति द्वारा प्रदत्त आधार भूत उपरोक्त के अतिरिक्त "इच्छा" के वशीभूत होकर अपनी अलग व्यवस्था करने के क्रम की ओर अग्रसर हो गया और भ्रमित हो गया और विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़खानी करने की भयंकर भूल कर बैठा, जैसे👉 पहाड़ों को तोड़ना, नदियों का रुख बदलना, जंगलो को काटना, मनुष्य को प्रकृति ने पंख नहीं दिये, फिर भी मनुष्य ने आसमान में उड़ने के लिए अपने लिए हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर भी बना लिया अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए आकाश में उड़ने वाले पक्षियों का जीना दूभर कर दिया, अनगिनत पक्षी अपना जीवन खो देत है, मनुष्य की इच्छा के इन हवाई जहाजों और हेलीकॉप्टर की चपेट में आकर, इससे मिलती हुई मनुष्य की "इच्छा" की भेंट अनगिनत जलचर और थलचर अनगिनत प्राणी भेंट चढ़ते रहते हैं, मनुष्य ने अपनी मनमानी करके "इस पृथ्वी" का भी कत्ल करके इसको, कई देशों में विभक्त करके अपनी अपनी सीमायें बना डाली और इन सीमाओं पर अनगिनत मनुष्य अपने जानों की भेंट देते रहते हैं| लेख बहुत लंबा न हो इस लिए मुख्य बात संक्षेप में कहना चाहुंगा, कि ऐ मनुष्यों तुम्हारी मूल आवश्यकतायें प्रकृति द्वारा प्रदत्त, आक्सीजन, जल, फल, आनाज, और औषधियाँ ही हैं | इस लिए अपनी पूरी उर्जा इन को शुद्ध और स्वक्ष रुप में प्राप्त करने में ही लगाओ, तो यकीन मानिए आप को एक सरल जीवन जीने के आलौकिक आंनद की जो अनुभूति प्राप्त होने लगेगी उस आलौकिक आनंद की अनुभूति के आगे आपको भौतिक सुख महत्वहीन लगने लगेंगे | और आप धीरे धीरे "इच्छा" के चंगुल से मुक्त होने लगेंगेऔर जब हम मनुष्य इस👉"इच्छा " के चंगुल से पूरी तरह मुक्त हो जायेंगे, तब हम मनुष्यों को अपनी गलती का ऐहसास हो जायेगा तो हम दिखावटी बड़प्पन, अपराधी प्रवृत्ति, झूठी सान सौकत, सत्ता के लोभ से मुक्त हो जायेंगे, फिर सत्ता के लोभ में किये जाने वाले नरसंहार, परस्पर हत्या का इतिहास यकीनन फिर नहीं दोहराया जायेगा | विचारक:- विनोद कुमार
@listentomainpoint6035 Жыл бұрын
Beautiful shayari
@aniskhankoti282 Жыл бұрын
Yery good ambar bhai
@ahmedislamicchannel9980 Жыл бұрын
بہت خوب صورت
@mdarshadalamahsani891 Жыл бұрын
Super brother
@mdarshadalamahsani891 Жыл бұрын
♥️♥️♥️
@pankajgautam6444 Жыл бұрын
Brilliant shayar
@akhtarallahabadi Жыл бұрын
किसी के दिल में गीता है कोई क़ुरआन रखता है,ए शेर मेरा है तुम्हें शर्म आनी चाहिए दूसरों का शेर पढ़ते हुए।