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मैं यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुंवाधार, फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मैं, यदि धधक उठे जल-थल-अंबर जड़ चेतन तो कैसा विस्मय, हिन्दू तन-मन हिन्दू जीवन रग-रग हिन्दू मेरा परिचय - श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी
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