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शादी करना बेहतर है या अकेले चलना? सद्गुरु बताते हैं कि आप चाहे रास्ता कोई भी चुनें, अगर आप अपने साथ योग को लेकर चलते हैं, तो सफ़र आसान और सुंदर बन जाएगा। मजबूरी के बजाय जागरूकता के साथ किए गए चुनाव, और साथ ही इस सत्य को हमेशा याद रखना की हम नश्वर हैं, हमारी मदद करेंगे अपने जीवन को समझदारी के साथ व दबाव, तनाव और यातना के अनुभव के बिना जीने में।
English video: • Married or Not, Carry ...
ईशा फाउंडेशन हिंदी ब्लॉग
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एक योगी, युगदृष्टा, मानवतावादी सद्गुरु, एक आधुनिक गुरु हैं, जिनको योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोडों लोगों को एक नई दिशा मिली है। दुनिया भर में लाखों लोगों को आनंद मार्ग में दीक्षित किया गया है।
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Whatever the Path, Carry Yoga with You
प्रश्नकर्ता: हर इंसान को एक ही समस्या का सामना करना पड़ता है - दबाव, तनाव...
सद्गुरु: क्यों? क्यों? आप इसे यूनीवर्सल क्यों बना रहे हैं? यह बस आपकी धारणा है। ठीक है, आप दबाव में हैं, तनाव में हैं, और क्या?
प्रश्नकर्ता: एक और बात।
सद्गुरु: यातना।
प्रश्नकर्ता: शादी करके योग के रास्ते पर चलते हुए मंजिल तक पहुंचना... और शादी किये बिना योग के रास्ते पर चलना... कौन सा तरीका सबसे अच्छा है?
सद्गुरु: तो इन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों के नाम दबाव, तनाव और यातना रखे हैं। पत्नी और दो बच्चे - दबाव, तनाव और यातना। कैसी रही?
मैं नहीं चाहता कि आप योग के रास्ते पर चलें। आप जिस भी राह पर चल रहे हों, अपने साथ योग को लेकर चलें। [तालियां] वह उस राह को आसान और खूबसूरत बना देगा। चाहे आप उत्तर की ओर जाएं या दक्षिण की ओर, अगर अंधेरा होता है तो आप टार्च लेकर जाते हैं, है न? उत्तर की ओर जाने वाले टॉर्च लेकर जाते हैं, और दक्षिण की ओर जाने वाले अंधेरे के साथ चलते हैं, क्या ऐसा होता है? नहीं।
तो... आप शादी करते हैं, अपनी जरूरतों की वजह से। आप अपनी पत्नी के साथ पैदा नहीं हुए थे, हुए थे क्या? आप इस तरह से जन्मे थे - एक संपूर्ण मनुष्य के रूप में। चूंकि आपकी कुछ जरूरतें हैं - शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक... शायद आर्थिक [हंसी]... सामाजिक [हंसते हैं]... वो भी होती हैं, है न?
तो... कई जरूरतें होती हैं। आम तौर पर शादी को ऐसा पैकेज माना जाता है, जो इन सभी जरूरतों को पूरा करता है - शारीरिक जरूरतें, मानसिक जरूरतें, भावनात्मक जरूरतें, सामाजिक जरूरतें, कभी-कभार आर्थिक जरूरतें भी। तो यह एक व्यापक पैकेज है। जब आप शादी करते हैं तो ये सारी समस्याएं एक साथ सुलझ जाती हैं।
कभी-कभार आपकी कुछ जरूरतों को पूरा करने से इनकार कर दिया जाता है, इसलिए आप दबाव, तनाव और यातना महसूस करते हैं। [हंसी]
मैं आपको समझाना चाहता हूं कि आपने अपनी भलाई के लिए शादी की थी, किसी और के लिए कोई बलिदान नहीं किया था। आपने अपनी जरूरतों और अपनी भलाई के लिए शादी की थी, है न? आपको यह जिन्दगी भर याद रखना चाहिए। आपने शादी करके एक दूसरे इंसान को अपने साथ बांध लिया है, अपनी जरूरतों के कारण। आपने दूसरे इंसान की खातिर ऐसा नहीं किया। है कि नहीं? सच यही है ना? हां या ना? हां। यह याद रखिए। अगर आप यह याद रखेंगे, तो आप आभारी होकर जीवन जिएंगे... “ठीक है, वो सभी पंच.... पांचों जरूरतें न भी सही, कम से कम मेरी दो जरूरतों को तुमने पूरा कर दिया, इसके लिए बहुत धन्यवाद।” है ना?
सभी पांचों ज़रूरतें हो सकता है कि उन्होंने ठीक से पूरी नहीं की, लेकिन कम से कम दो या तीन को आपके पति या पत्नि पूरा करते हैं ना? उन्होंने किया कि नहीं किया? अगर उन्होंने कुछ भी नहीं पूरा किया होता, तो मुझे नहीं लगता कि आप अब भी उनके साथ होते। है कि नहीं? अगर उन्होंने आपकी किसी भी जरूरत को पूरा नहीं किया होता, तो मुझे नहीं लगता कि आप अब भी उनके साथ होते। वे कुछ जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। हो सकता है कि कुछ जरूरतों को वे पूरा नहीं कर पा रहे। आपके साथ भी ऐसा ही है।
आप भी दूसरे व्यक्ति की हर जरूरत को नहीं पूरा कर पा रहे हैं। कुछ को आप पूरा कर रहे हैं, कुछ को नहीं। ऐसा है कि नहीं?
तो यह दबाव, तनाव और यातना इसलिए बन गया है क्योंकि... अभी तक आपने चाहे उसे जैसा भी बना दिया हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर आप चाहें, तो तीन दिनों में... चाहे आपकी स्थिति कितनी भी बुरी हो... तीन दिनों के भीतर आप उसे एक शांतिपूर्ण स्थिति में ला सकते हैं। अगर प्यार नहीं, अगर आनंद नहीं, तो कम से कम एक शांतिपूर्ण स्थिति आप तीन दिन के भीतर ला सकते हैं, अगर आप इसके लिए सौ फीसदी इच्छुक हों। है कि नहीं? हम्म? कम से कम आप चुप तो हो सकते हैं। चाहे कुछ भी हो जाए [नमस्कार करते हैं]। शांति छा जाएगी। और हो सकता है कि उन्हें यह पसंद आए। [हंसी]
तो... योग के रास्ते पर मत चलिए। रास्ते चाहे कोई भी हो, आप अपने साथ योग को लेकर चलिए। अगर आप योग को अपने साथ ले कर चलते हैं, तो वह आपके रास्ते को रौशन कर देगा, चाहे आपने कोई भी रास्ता चुना हो। आपने अपना रास्ता अपनी जरूरतों के कारण चुना है। आप ऐसा कर चुके हैं, तो यह आपके ऊपर है। जिन लोगों ने नहीं किया है, मैं चाहूंगा कि आप अपना रास्ता अपनी मजबूरियों के कारण नहीं, बल्कि अपनी चेतन जरूरतों के आधार पर चुनें। तो जब आपके जीवन में ऐसा चरण आता है, तो यह अपने जीवन की ओर जागरूक होकर देखने का और यह सोचने का समय होता है कि क्या आज की जरूरतें पांच या दस साल बाद भी आपके लिए कोई मायने रखेंगी?