Рет қаралды 56,468
🚩 मरूधर री रसधार 🚩
यूट्यूब चैनल प्रस्तुत करते हैं :-
★ जागो जागो सूरज उगो
JAGO JAGO SURAJ UGO
RAVINDRA SINGH BHATI SONG
रविंद्र सिंह भाटी पर काव्यगीत
सूरज ऊगो सूरज ऊगो।
पछम धरा में सूरज ऊगो॥
अलबेलो इळ ऊपर ऊगो।
भारत री भूमी पर ऊगो॥
राजस्थानी रण में ऊगो।
मरूधर रे आंगण में ऊगो॥१
जन जन रो जोशीलो ऊगो।
मन मेळु मौजीलो ऊगो॥
हीम्मत रो हठ्ठीलो ऊगो।
टक्कर में टणकीलो ऊगो॥२
जागो जागो सूरज ऊगो।
नभ में पूगो सूरज ऊगो॥
नाम भलो है रविन्द्र भाटी।
जन्म लियो शुभ नखतर भाटी॥
किरसण कुळ में आयो भाटी
धोरों धरती छायो भाटी॥
छात्र हित रो नेता भाटी।
संघर्षी प्रणेता भाटी॥
शिव री जनता भायो भाटी
छब्बीस वरसों छायो भाटी॥
मिनखपणे रो डायो भाटी।
विजय वरण कर लायो भाटी॥
सब कोउ जाणे रविन्द्र भाटी।
रविन्द्र भाटी रविन्द्र भाटी॥
तो फिर कुण कुण जाणे----
कुण कुण जाणे कुण कुण जाणे।
कुण तो जाणे कूण पिछाणे॥
बाढोणे जैसोंणे जाणे।
जोधोणें बीकांणे जाणे॥
जाळोरी सिरोहिया जाणे।
मारवाड़ अर थळिया जाणे॥
कोलेजों में भणिया जाणे।
धोरों रा अणभणिया जाणे॥
शिव रा वो मतदाता जाणे।
छतीसों ही जातां जाणे॥
निरदलीयां साथीङ़ा जाणे।
बाळकिया बूढोङ़ा जाणे॥
माताओं बेनङियां जाणे।
अपणो कर मानणिया जाणे॥
दिल्ली अर जैपर में जाणे।
देश विदेशों घर घर जाणे॥
राजी होवत सब जण जाणे।
रीसे बळता वो पण जाणे॥
इण कारण वो केवै ऊंठ।
नाम इणी रो देवै ऊंठ॥
ओ तो है खीज्योङो ऊंठ।
बिन मौरी रो बैङ़ो ऊंठ॥१
नेताजी तो बोलै ऊंठ।
कुण है इण रे तोलै ऊंठ॥
चावा चौङ़ा म्हारा ऊंठ।
वारी जावां प्यारा ऊंठ॥२
थांरो म्हांरो देखो ऊंठ।
इण री लांठी राखो पूंठ॥
मन पकङ़े ने झालो मूंठ।
कङ़वा मीठा पीलो घूंठ॥३
संधांणे में ज्युं है सूंठ।
गाढ गुणीलो त्युं है ऊंठ॥
करो पारखा राखो ऊंठ।
कारज सारे लाखों ऊंठ॥४
पैलां होतो खीज्यो ऊंठ।
गीतों में गाविज्यो ऊंठ॥
गोरबंध बाध्योङो ऊंठ।
पिलाण पङसी वाळो ऊंठ॥५
धोरों में रैवणियो ऊंठ।
पाणी कम पीवणियो ऊंठ॥
रेगिस्तानी जहाज ऊंठ।
खेङूतां री लाज ऊंठ॥६
जिण रे घर में होतो ऊंठ,
लिछमी वो ही लातो लूंट॥
फिर आतो वो चारों कूंट।
काम करे मन धारो ऊंठ॥७
हळ जोतण ने होवै ऊंठ।
गाडा बोरा ढोवै ऊंठ॥
पाणी भर ने पावै ऊंठ।
सगळो बोझ ऊठावै ऊंठ॥९
आवण जावण साजे ऊंठ।
मरूधर में युं गाजे ऊंठ॥
जान जमारे परख्यो ऊंठ।
रमझम करतो निरख्यो ऊंठ॥१०
ऊभो है ओरण में ऊंठ।
देवास्यां रे तोरण ऊंठ॥
फोज्यां रे पण ताबै ऊंठ।
परेड करतो फाबै ऊंठ॥११
लांठा रो लसकरीयो ऊंठ।
करसलियो अर करियो ऊंठ॥
हिम्मत रो हठ्ठीलो ऊंठ।
टोळे में टणकीलो ऊंठ॥१२
ढोला मरवण सारूं ऊंठ।
पंथीङां रो भीरूं ऊंठ॥
पाबू हङ़मल लाया ऊंठ।
पङ़ में गीत गवाया ऊंठ॥१३
रूपाळो रंगीलो ऊंठ।
छोङ़े नांही चीलो ऊंठ॥
सदा सुहाणो लागे ऊंठ,
हमें न पाछो भागे ऊंठ॥१४
पर हितकारी देख्यो ऊंठ।
करी सवारी लेख्यो ऊंठ॥
कदे न थाके पंथे ऊंठ,
जबर जवानी जंथे ऊंठ॥१५
मझ मैदाने आयो ऊंठ।
साची कैवूं छायो ऊंठ॥
कारज सारे झटके ऊंठ।
धाप्योङ़ां ने खटके ऊंठ॥१६
कव "काळू" नी बोलूं झूंठ,
गुण नी जाणे वो है ठूंठ॥
मझ मैदाने ऊभो ऊंठ,
लांठा रैजो आयो ऊंठ।
लांठा रैजो लांठा रैजो
लांठा रैजो लांठा रैजो
हमें भाईङ़ां लांठा रैजो
सगळा साथी लांठा रैजो।
गांव गळी रा लांठा रैजो,
शहर नगर में लांठा रैजो।
हिम्मत राखे लांठा रैजो,
मोटियार हां लांठा रैजो।
निरमळ वे ने लांठा रैजो।
बात बात में लांठा रैजो।
सावधान हो लांठा रैजो।
छळ बळ होसी लांठा रैजो।
एक वचन पर लांठा रैजो
मते भूलजो लांठा रैजो।
वोट लावता लांठा रैजो
रवि बणे ने लांठा रैजो
कवि पणे में लांठा रैजो।
राख भरोसो लांठा रैजो
विजय होवसी लांठा रैजो
रवि उगसी लांठा रैजो
लांठा रैजो लांठा रैजो।
लांठा रैजो लाखिणों,जोङ़ो वोट जरूर।
कवि"काळू"साची कहे,(तो)दिल्ली गढ़ नहीं दूर॥
सियावर रामचन्द्र की जय सियावर रामचंद्र की जय----
रचना :- ✍️
कालूसिंह गंगासरा डिंगल साहित्य एवं संत वाणी--
30 मार्च 2024
रचना एवं स्वर - कालू सिंह जी गंगासरा
Lyricist and Singer - Kalu Singh Ji Gangasara
◆ प्रस्तुति - मरूधर री रसधार 【KZfaq CHANNEL】
MARUDHAR RI RASDHAR KZfaq CHANNEL
Video footage Credit - Paramhans Photography Barmer
इस वीडियो को लाइक, कमेंट, तथा शेयर करें एवं और अधिक वीडियो को देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करावें ।
धन्यवाद || THANK YOU
#kalusingh_gangasara #marudhar_ri_rasdhar
#ravindrasinghbhati #लोकसभा_चुनाव #कालुसिंह_गंगासरा #रविंद्र_सिंह_भाटी #राजस्थानी_भजन
#bhajan #राजस्थानी #न्यू_राजस्थानी_सॉन्ग #new_song #loksabhaelection2024 #ashokshera #aajtak #rajasthanisong #मरूधररीरसधार #राजस्थानी #ravsabhati #barmer #jaisalmer #balotara #barmer_jaisalmer_balotara #mpelections2024 #lallantop #jago_jago_suraj_ugo #bhajan_santvani #desibhajan #ravindra_singh #मारवाड़ी_भजन #newvideo
ALL COPYRIGHTS RESERVED BY ©MARUDHR RI RASDHAR/मरूधर री रसधार.
Copyright Disclaimer under Section 107 of the copyright act 1976, allowance is made for fair use for purposes such as criticism, comment, news reporting, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favour of fair use.