2017-08-04 मंगल प्रवचन मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज (नेमिनाथ कॉलोनी, उदयपुर) राजस्थान
Пікірлер: 39
@dineshgarg77402 жыл бұрын
Guruji ke Charanon Mein कोटि-कोटि Pranam
@ramatiwari4619 Жыл бұрын
गजब का शाश्वत सत्य पर प्रवचन है। हे महात्मन आपके गुरु को कोटि कोटि नमन है 🙏🕉️🙏
@Pranal_Jain2 жыл бұрын
मुनि श्री १०८ प्रमाण सागर जी के चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏😅🌹🙏
@umedprakash.kothari5253 жыл бұрын
Om Arham om shanti
@BhartiSoni-nr3gb2 ай бұрын
🌍🇮🇳📢 ससंघ ⚖️ श्रीआचार्य प्रमाण भगवन् के सच्चे तप-त्याग-दर्शन-चारीत्र-आचरण -ज्ञान -क्षमादि 🌄🦢🛕👣 में त्रय बार नमोस्तु 🌹🪔🙏!!!..🥥🍐🍇🍎🍍🦚🌈"मात-पिता ने जन्म दिया, रूप दिया भगवान, सरस्वती ने गुण दिया, गुरु ने दिया ज्ञान ऽऽऽऽ।"🐘 दुर्ग छत्तीसगढ़ संतोष।🔔🐒
@karunabhandari66302 жыл бұрын
OM Arham Om shanti Gurujee
@svetajain4489 Жыл бұрын
Namastu gurudev🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@bhavanavira15142 жыл бұрын
Namostute gurudev
@harichand53832 жыл бұрын
Jai gurudev ji
@NarenderKumar-ih7qc3 жыл бұрын
Muni shri ki Jay
@priyanshumishra53293 жыл бұрын
Jab Se Maiya pravachan sunana Shuru kiya hun main Hamesha ISI ko Suna Karti hun aur main bahut khush rahti hun bahut Kuchh To Mujhe khana Na Mile lekin yah pravachan Mujhe tune ko Jarur Mile aur main bahut khush hun bahut ko to Jay Gurudev Jay Gurudev
@meenagala78942 жыл бұрын
Thanks a lot 🙏🏻🙏🏻
@padamanabhaiahtn2224 жыл бұрын
Jai guru Dev
@prabhabohra29562 жыл бұрын
🙏🙏🙏
@anjanipanday7024 жыл бұрын
बहुत बहुत धन्यवाद |
@rajabratsingh81562 жыл бұрын
Jay gurujii
@SampradaJ6 жыл бұрын
2017 Oct 16 Mon: *** मैं अलग हूँ। *** मैं अकेला हूँ और सबसे अलग हूँ। *** मैं अकेला हूँ इस निरंतर चिंतन के साथ मैं सबसे अलग हूँ यह धारणा भी जरूरी है। *** अपने स्वरूप को जान लेने वाला कभी हताश, निराश नहीं होता। *** अपने आप को जानो, अपने आप को पहचानो तुम बेजोड़ हो, तुम्हारा मुकाबला कोई नहीं कर सकता। *** जब तक अपने आप को नहीं जानोगे तुम्हारा कल्याण नहीं हो सकता। *** देह, शरीर, परिवार, संबन्ध आदि सबके पास कम-अधिक मात्रा में है सो मैं सुंदर-कुरूप, अच्छा-बुरा, ज्ञानी-धनी, स्त्री-पुरुष, मूर्ख-चतुर हूँ यह स्व के बारे में धारणाएँ तुम्हारा वास्तविक स्वरूप नहीं। *** सभी के पास यह बाह्य चीजें कम-अधिक प्रमाण में होती ही है। *** संपत्ति, संबधी, स्वास्थ आदि सब बाह्य विषय-पदार्थों के इष्ट-अनिष्ट विचार अशांति देते है, आपत्ति देते है। पल में *** तुम्हारी उपलब्धि तुम स्वयं हो। *** मैं क्या हूँ? मैं कौन हूँ? *** संयोग को संयोग ही समझो, संयोजक भाव मत बनने दो। *** सब संयोजक भाव दे रहे मुझको धोका, आज तक जान न पाया अपना रूप अनोखा। I. मैं कौन हूँ? => मैं सबसे अलग, अनोखा, निराला हूँ, पर इस अलगपन का कारण क्या है? => मेरा रूप नहीं मेरा स्वरूप, मेरा धन नहीं मेरा गुण कारण है जो मुझे सबसे अलग बनाते है। => मैं अकेला हूँ, मैं शुद्ध हूँ, ज्ञाता-दृष्टा हूँ। मैं एक ज्ञायक मात्र हूँ। => परमाणु मात्र भी परद्रव्य मेरा नहीं, न था, न हो सकता है। => मेरा स्वरुप तो स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण रहित है। => पल-पल बदलने वाला शरीर, धन, परिवार आदि मैं नहीं। => हमारे दुःख का प्रबल कारण है स्वरूप के प्रति अज्ञान। => बारबार अन्यत्व-भावना का चिंतन करो आक्रंदन आनंद में, हाहाकार जयजय का में, दुःख सुख में परिवर्तित हो जायेगा। => मैं देहातीत, रूपातीत, इन्द्रियतीत, विषयातीत हूँ। => मैं क्रोध-मान-माया-लोभ कषाय नहीं करता। => मैं शरीर नहीं, मैं आत्मा हूँ यह भेद-विज्ञान हर पल हमारे अंदर जाग्रत रहना जरूरी है। बिना भेद-विज्ञान के मुक्ति नहीं। => श्री विनोबा भावे जी को10 साल की उम्र में मैं शरीर नहीं, मैं आत्मा हूँ यह जागृतता थी। *** हर्निया का ऑप्रेशन बिना एनेस्थेशिया, दवाई भेद-विज्ञान के बल पर। => आसक्ति, ममता खतम हो जाती है। *** गजकुमार मुनि के सिर पर जलती सिगड़ी रख दी, => मुझे कोई जला नहीं सकता, मैं अखण्ड हूँ, अविनाशी हूँ, ज्ञाता-दृष्टा हूँ। *** कोsहं??? => सोsहं! परमानंद का धाम, दुःखरहित मैं हूँ। => नीर-क्षीर विवेकिनी दृष्टि जरूरी है। राजहंस दूध और पानी से मात्र दूध चुनता है। => बगुला मत बनो, हंस बनो! *** पर में क्या ऐसा संमोहन जो परमेश्वर को भुला। *** आत्मा और शरीर, दूध-पानी की तरह एकमेक है, हमारी दृष्टि आत्मा की ओर होना जरूरी है। => स्वरूप का बोध होते ही अज्ञान मिटता है और अज्ञान के मिटने से दुःख दूर हो जाता है। II. मेरा क्या है?: => जब प्राप्त शरीर भी तुम्हारा नहीं है तो अन्य कुछ भी तुम्हा => जो तू है वही तेरा है। => मेरा केवल वही है जो मात्र मेरा है, मेरा ज्ञाता-दृष्टा स्वरूप ही मात्र मेरा है। => मेरा वही है जो मेरे साथ हमेशा से था, हमेशा से है और हमेशा रहेगा और वह है, मैं स्वयं, मेरा स्वरूप ही मात्र मेरा था, है और मेरा रहेगा अन्य कुछ भी नहीं। => जो सबका है वह मेरा नहीं, ना हो सकता है। III. मुझे क्या करना चाहिये? => अपने जीवन को सँवारने, सुधारने का उद्यम करो। => मैं क्या कर रहा हूँ, मुझे क्या करना चाहिये। => संत नहीं बन सकते तो कम से कम सज्जन बनो। => अपनी आत्मा के हित का उद्योग करने के लिये यह मनुष्य जीवन अति-दुर्लभ अवसर है इसे व्यर्थ नहीं जाने दो। => मनुष्य जन्म रमणी, पुत्र, कलत्र, धन-संपत्ति आदि के लिये मनुष्य जन्म नहीं मिला है अपनी आत्मा का उद्धार करने के लिये मनुष्य जन्म मिला है। => आत्म-कल्याण के बहुत से अवसर, बहुतसे मनुष्य जन्म व्यर्थ गये यह जन्म भी व्यर्थ ही खतम हो जायेगा अगर भेद-विज्ञान नहीं हुआ। जागो इस *** छत्र चूड़ा मनी मैं कौन हूँ? मेरा गुणधर्म क्या है? *** निजानुभव शतक ... आ. वीसा जी MG। *** अध्यात्म की शक्ति हमें बलवान बनाती है, दुःखो को सहने की शक्ति प्रदान करती है। --- Source: --- जय जिनेंद्र, उत्तम क्षमा! --- जय भारत!
@santoshbilwal9965 жыл бұрын
9
@VIPULGRAI4 жыл бұрын
मेरा नाम विपुल राय है, मोबाइल no 9313155440 मैं आपसे बात करना चाहता हूँ।
@kailashjain87062 жыл бұрын
Aachaa aatma Gyan batataya 🙏🙏
@Pranal_Jain2 жыл бұрын
Bohat khub🌹🙏😄👌👌
@sampatoswal72342 жыл бұрын
धन्य है मुनीवर आप जो अपने आत्मज्ञान को कितनी अच्छी तरह से समझाया है बार बार आपको नमन नमन
@manojjain44513 жыл бұрын
Naman
@pravinvakar98034 жыл бұрын
નમો.. ગુરુ.દેવ..નમો
@manojjain44513 жыл бұрын
Great Atmagyan 🙏🙏🙏
@kcpandey68296 жыл бұрын
Namo Namo Guru dev
@sunitasoni82535 жыл бұрын
🙏
@jeetujain6925 жыл бұрын
Pa
@parmjitsingh33024 жыл бұрын
jeetu jain Ad ZzQ
@svetajain4489 Жыл бұрын
Today I know that
@rajendrashing42745 жыл бұрын
me bhram hu....
@prahladagarwal41026 жыл бұрын
Naman Munivar Gurudev ji. I have downloaded yr talks on Mai Koun hu.
@AJAYKUMAR-fu3ku5 жыл бұрын
Whjpuri video
@coltonrodrigo34912 жыл бұрын
I guess im asking the wrong place but does anyone know of a method to get back into an Instagram account? I stupidly lost the password. I appreciate any assistance you can give me.