जीवन में कितनी ही गांड़ क्यों न फटी हो उसी क्षण समझ लो जीवन खेल है तब मजा है जीने में।
@ankushmeena5975Ай бұрын
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
@kamalakarpatil508828 күн бұрын
रविंद्रनाथ एक अनाथ ही रहा होगा, रविंद्रनाथ कवि ही था तो उस निर्दयी अंग्रेज के स्वागत करने के लिये गीत न लिखता ! प्रयोजन था, वह भी नोबेल पुरस्कार मिलने का ! कितनी घटीया सोच थी इस कवी की ?