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एक कलाकार अपने शब्दों से कोई भी सीमा पार कर सकता है. शब्दों की ताक़त अगर आंकनी हो तो इस छोटे से, संभावनाओं से भरपूर 5 मिनट की बात-चीत को ज़रूर सुनें. कि कैसे राकेश तिवारी जी की 'सुन पडोसी' कविता ने, सीमा पार कराची में बैठे शान राजपूत को अपनी कलम उठाने पर मजबूर किया, और एक खूबसूरत सा जवाब उन्होंने अपनी तरफ से इस कविता के बदले में, हम सब तक पहुंचाया.
ऐसे किस्से ही तो हैं, जो हम सब में उम्मीद जगाये रखते हैं... इस स्वतंत्रता दिवस और हाल ही में गए मैत्री दिवस, दोनों को मनाते हुए, #UnSpokenwithBatto में हमारी राकेश जी के साथ हुई लम्बी सी बात- चीत का एक छोटा सा, प्यारा सा हिस्सा, आप तक लेकर आ रही हूँ.
पूरी बात-चीत आप यहाँ सुन सकते हैं:
• Millenial Kavi se jaan...
आप सभी लिखने वालों से यही गुज़ारिश है कि,
"लिखो तो कभी कुछ ऐसा कि दिल की बात सरे आम हो जाए,
मक़सद हो इतना खूबसूरत कि शिकवे सारे तमाम हो जाए |"
- Batto