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🙏🏻 एकीभाव स्तोत्र 🙏🏻
आज ३ जुलाई २०२४ से श्री महावीर जिनालय, अकलूज नगर में आचार्य वदिराज मुनि प्रणित एकीभाव स्तोत्र पर जिनवाणीपुत्र क्षुल्लक श्री ध्यानसागरजी महाराजजी द्वारा व्याख्यान माला प्रारंभ हुई है. जिसमें प्रभु भक्ति के साथ-साथ जिनागम की अद्भुत जानकारियां तथा ज्ञान की धारा प्रवाहित हो रही है.
🔴 03 जुलाई 2024 | अकलूज
📌 व्याख्यान के महत्वपूर्ण अंश -
🔶 आचार्य वादिराज मुनि का परिचय
🔷 आत्मा के अधिकार में जो है वो अध्यात्म है।
🔶 अध्यात्म परिणती आत्म ध्यान है।
🔷 जैन शासन क्या है? जैन शासन के ५ विभाग
🔶 अकलंक स्वामी की संक्षीप्त कथा
🔷 आचार्य वादिराज मुनि की कथा।
🔶 वार्तालाप से विद्वान, विद्वान का आकलन कर लेते है।
🔷 आचार्य वादिराज मुनि का कोड कैसे दूर हुआ।
🔶 एकीभाव स्तोत्र में देव शब्द अनेक बार आते है।
🔷 स्थापित करना आक्षेपिणी कथा है।
🔶 खंडन करना विक्षेपिणी कथा है।
🔷 सल्लेखना में विक्षेपिणी कथा नहीं सुनाई जाती।
🔶 सल्लेखना काल का वर्णन
🔷 मरण काल में ध्यान करते हुये स्वर्ग जाते है, वो आगामी भव में मनुष्य भव धारण करते है।
🔶 ‘णमो अरहंताणं‘ का ध्यान कैसे करे? ध्यान की विधी ।
🔷 पहले काव्य का उच्चारण, अर्थ
🔶 संसार में सारे दुःख कर्मजनित है।
🔷 जो लोग तप से विमुख है वो कायर है।
🔶 जिस समय आत्मज्ञान होता है उसी समय मोक्ष का संकल्प हो जाता है।
🔷 आचार्य शांतीसागर जी महाराजजी के जीवन की घटना - जिनदास ब्रह्मचारी जी के सफेद दाग दूर करने की घटना।
🔶 हारी हुयी मानसिकता से सोया हुआ भाग्य सोया रह जायेगा ।
🔷 जहां दर्शन होता है वहां प्रदर्शन नहीं होता, जहां प्रदर्शन होता है वहां दर्शन नहीं होता है।
🙏🏻 जैनं जयतु शासनं 🙏🏻
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