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गुमदेश-
एक खूबसूरत अनसुने अनजाने मुलुक की यात्रा मेरे लिए बेहद सुखद और यादगार रही। इस सीमांत क्षेत्र के लोगों से जो प्रेम स्नेह और आतिथ्य मुझे मिला उसे में शब्दों में बयां नहीं कर सकता। एक बाहरी अनजान व्यक्ति के लिए सिर्फ एक फोन कॉल पर रहने खाने की व्यवस्था हो गई, इसके लिए मेरे मितुर हर्षवर्धन जोशी जी और पुलहिंडोला के नवीन वर्मा जी का बेहद धन्यवाद और मेरे आतिथेय जोगा सिंह मासाब जी का अत्यंत कृतज्ञ रहूंगा।
और यह क्षेत्र सांस्कृतिक सामाजिक दृष्टि से भी बेहद सम्पन्न औऱ अग्रणी है। यहां के लोगों की हमारे कुमाऊं के लोकदेवताओं में एक प्रगाढ़ आस्था है। बाकी कृषि और पशुपालन में भी यहां के लोगों की जान बसती है , ऐसा मैंने महसूस किया। प्रत्येक घर में दूध दही घी की कोई कमी नहीं है, खेतीबाड़ी में अनाज दालें मसाले भरपूर होते हैं। पलायन और क्षेत्रों के मुकाबले काफी कम है। युवा वर्ग की बाहुल्यता इस गुमदेश क्षेत्र की ताक़त है। सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में इन युवाओं की सहभागिता इसका प्रमाण है।
घाटी के नजदीक होने के कारण यहां का मौसम थोड़ा गर्म है, लेकिन लेकिन जाड़ों के लिए बेहद सुहावना है। गांवों के आसपास पशु चरागाह भरपूर मात्रा में नज़र आये जो पशुपालकों के लिए एक वरदान है।
इस क्षेत्र की आस्था की मुख्य रीढ चमदेवल में विराजमान चौखाम बाबा के दर्शन करके के कृतार्थ हुआ, और साथ साथ नीचे मड़ गांव में ऐतिहासिक सूर्य मंदिर और कुलदेवी भगवती की भव्यता देखकर मेरी आंखे चौंधिया गयीं , उसके बाद फाइनली शाम ढलने से पहले गुमकोट के भगवती मन्दिर के भी दर्शन करके इस गुमदेश क्षेत्र के इतिहास से इसके सम्बंध का रहस्य भी जाना, और जो जाना वो काफी रोमांचक था इसके लिए इस देवभूमि को नमन। पुराने पारंपरिक घरों की बनावट और बेहतरीन नक्काशी देखकर अपने पुरखों की स्थापत्यकला पर गर्व भी महसूस हुआ।
यहां के लोगों से बातचीत करके जो जो जानकारी मिली उन सब चीजों घटनाओं को वीडियो के माध्यम से आपके सामने लाने की एक कोशिश की है। वीडियो पसन्द आये तो वीडियो की like कीजिये , कमेट्स कीजिये, और अधिक से अधिक लोगों को शेयर कीजिये।