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एक बार माता पार्वती भगवान शिव के पास आती है, और कहती है। हे प्राण नाथ, आज मैं कलियुग में देख रहीं हूँ, की स्त्री का शोषण हर जगह पर किया जा रहा है। कोई भी स्त्री, किसी भी समय, या किसी भी जगह पर सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहीं है। हे प्रभु, मैं जानना चाहती हूँ, की आखिर स्त्री का ही शोषण क्यों हो रहा है? जब की एक स्त्री ही जगत के उत्पत्ति का कारण है। स्त्री के बिना सारा संसार अधूरा है। स्वयं भगवान शिव भी आदीशक्ति के बिना अधूरे है। मित्रों, तब भगवान शिव कहते है। हे देवी पार्वती, आज आपने अत्यंत महत्वपूर्ण बात कहीं है। हर युग में स्त्री का शोषण हुआ है, यह तो आप ने भी देखा की रामायण और महाभारत के पर्व में महाभयंकर युद्ध का कारण भी स्त्री का ही शोषण रहा है। हे गौरी, यह कहानी एक हृषी की है, जिन्हे अपने गुरु को, गुरु दक्षणा देनी थी, इसलिए उन्होंने एक राज कुमारी को ८०० शाम कर्ण घोड़ों के बदले में तीन राजाओं के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर, उनसे प्रत्येकी एक एक पुत्र की प्राप्ति की और अंत में उस राज कुमारी को अपने गुरु को भी भेट कर दिया।
राजा ययाति की बेटी माधवी की कहानी, जिसे एक ऋषि ने दक्षिणा के लिए बारी बारी राजाओं को बेचा.
जब राजा ने बेची घोड़ों के बदले में बेटी!
ययाति की बेटी माधवी की कथा,
हृषी विश्वामित्र की कथा,
राजा यययाति की कथा,
एक राज कुमारी को ८०० शाम कर्ण घोड़ों के बदले में तीन राजाओं के साथ शारीरिक संबंध स्थापित कर, उनसे प्रत्येकी एक एक पुत्र की प्राप्ति।
नारी शोषण की कथा,
नारी शोषण की घृणित कथा,
माधवी और हृषी विश्वामित्र की कथा,
मित्रों, गालव ऋषि महर्षि विश्वामित्र के शिष्य थे। ऋषि गालव ने एक बार गुरु को गुरुदक्षिणा देने की हठ ठान ली जिससे विश्वामित्र मुनि को क्रोध आ गया और उन्होंने गालव ऋषि से 800 श्यामकर्ण घोड़े मांगे। गालव ऋषि ने यह मांग राजा ययाति के पास रखी तो ययाति ने अपनी असमर्थता जताते हुए अपनी बेटी माधवी को गालव ऋषि को सौंप दिया। फिर माधवी को गालव ऋषि ने घोड़े प्राप्त करने के लिए अलग अलग राजाओं से संबंध बनाने को कहा तथा अंत में महर्षि विश्वामित्र ने भी माधवी को भोगा। गालव ऋषि और ययाति की बेटी माधवी की यह कहानी महाभारत के उद्योग पर्व में वर्णित है।
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