Рет қаралды 24,309
परमात्मा ब्रह्म स्वरूप सगुण निर्गुण निराकार रूप भगवान शिव और माँ भवानी के विवाह दिन शिव रात्रि भगवान के लिंग रूप में प्रकट होने की कथा शिव रात्रि हे अमृत का रहस्य हे की जब प्राणी अपने समय को बर्बाद में करे और परुषार्थ और स्वास् की माला से परमात्मा को जगावे जो भीतर ही सोया हे जन्म तेरा बातो में बित गया तूने कबहुँक राम कहा राम शिव कृष्ण एक ही हे जेसे गांव में आने के रास्ते अलग अलग हो सकते हे लेकिन गांव तो एक ही हे कोई किसी द्वार से जाता हे कोई किसी से अपनी तीन रज तम सत् के अनुसार पूजा पद्वति हे मन्त्र जप भजन में एक बात आई हे की तूने कबहु न राम कहा मतलब भीतर से तूने उस मालिक को नही पुकार जो सब का माता पिता हे अमृत रूप हे उसका मन्त्र जो शक्ति को अर्जित करे उस की शरण तुम नही गए तुमने अपने शरीर जो अनमोल हे उस का समय खराब किया हे देवी माँ नवल बाईसा के कोकिल वाणी से भीतर के स्वर