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गढ़वाल का कुछ शब्दों में वर्णन करना कठिन है | यह क्षेत्र विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है | देवभूमि नाम के अनुरूप यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर एवं धार्मिक पर्यटन को देखा जा सकता है | गढ़वाल क्षेत्र अपने मुख्य आकर्षणों जैसे हिमालय, नदी- झरनों एवं घाटियों की सुन्दरता से परिपूर्ण है | उत्तराखंड राज्य की अमूल्य संस्कृति राज्य को वरदान स्वरुप प्राप्त है | महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा घाघरा हो या यहाँ का स्वादिष्ट व्यंजन “फाणा” हो, लोकनृत्य “लंगवीर” हो या लोकगीत “जोड्स”, यहाँ की हर चीज लोगों को आपस में एक अटूट बंधन में जोडती है|
कुमांउनी और गढ़वाली लोगों की जीवनशैली और रहनसहन में उनकी संस्कृति प्रदर्शित होती है | यहाँ पर इन दो प्रमुख समूह के अलावा जौनसारी, बोक्सा, थारू, भोटिया और राजी भी प्रमुख जातीय समूह है | उत्तराखंड में ज्यादातर लोग सीढ़ीनुमा खेत एवं स्लेट छत वाले घरों में रहते हैं |गढ़वाली संस्कृति का मुख्य आकर्षण इतिहास, यहाँ के लोग, धर्म एवं नृत्य है जो की यहाँ पर राज्य करने वाले राजवंशो एवं जातियों के प्रभावों का एक सुन्दर समायोजन है |
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