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Katha No 16
Bahut Upay Karke Thak gye
Gurumukhon
श्री गुरु महाराज जी के पावन वचन है कि
कि जैसे इंसान को चलने के लिए दो पाव है पंछी को उड़ाने के लिए दो पर है
इस जीवात्मा को भगवान से
मिलने के लिए भी 2 साधन है
एक सतगुरु दरबार की सेवा है
सतगुरु दरबार की पूजा है और एक मालिक का भजन सुमिरन है
के इंसान सद्गुरु दरबार की सेवा करें पूजा करें
तो जिससे इंसान का मन निर्मल होता है
साफ होता है और
फिर इंसान मलिक का भजन सुमिरन करें
वह मालिक को प
पा जाता है
मलिक को याद करे तो मालिक से मिल जाता है
एक छोटा सा प्रसंग आता है
हमारे हृदय सम्राट श्री श्री पंचम पदसई गुरु महाराज जी
एक बार श्री आनंदपुर धाम में विराजमान थे
महाराज जी के श्री चरणों में दो-चार प्रेमी हरिद्वार से आए
माता टेका और श्री चरणों में विनय करने लगी कि स्वामीजी
हमारे मन में एक बड़ी शंका है
महाराज जी ने फरमाया कि बोलो क्या बात है
प्रेमी कहने लगे कि स्वामी जी हम हरिद्वार से चले तो हमारे पड़ोसी कहने लगे कि कहां जा रहे हो
हमने कहा हम मध्य प्रदेश अपने श्री गुरु महाराज जी का दर्शन करने जा रहे हैं
तो पड़ोसी हमें कहने लगी कि तुम उल्टा जा रहे हो
लोग हजारों रुपए खर्च करके तो हरिद्वार आ रहे हैं गंगा स्नान करने आ रहे हैं
कुंभ का मेला लगा है और तुम हरिद्वार को छोड़कर हजार रुपए खर्च करके उल्टा जा रहे हो मध्य प्रदेश जा रहे हो
तो हम सही हैं या गलत है
तो महाराज जी ने फरमाया कि आपने उनसे क्या कहा
भगत कहने लगे स्वामी जी हमें तो समझ नहीं है
महापुरुषों ने अपने सुंदर वचनों में फरमाया कि गुरमुख को
पूजा राम एक ही देवा
सच्चा नावन गुरु की सेवा
के गुरमुख तू गुरु की सेवा कर ले
तो तेरा कल्याण है तेरा कल्याण है
महाराज जी ने फरमाया की गंगा में 24 घंटे कौन रहता है
तो प्रेमी ने विनय की स्वामी जी गंगा में 24 घंटे मछलियां रहती है मेंढक रहते हैं
तो महाराज जी ने फरमाया कि बताओ उनकी मुक्ति होती है 24 घंटे वह गंगा के जल में रहते हैं
लेकिन फिर भी कल्याण नहीं होता है
जीव का अगर कल्याण है तो महापुरुष फरमाते हैं
पूजो राम एक ही देवा
के एक हम सद्गुरु की पूजा कर ले एक सद्गुरु की सेवा कर ले
और सतगुरु दरबार की सेवा से हमारा मन निर्मल होता है
और भगवान खुद वचन फरमाते हैं कि
मुझे निर्मल मन वाला जीव ही पता है
और वही मुझे भाता है
तो गुरमुखहो गुरु दरबार की सेवा से
भक्ति से हमारा मन निर्मल होता है
साफ होता है
इसलिए मैं पूछो ने हमारे जीवन के कल्याण के लिए पांच सरल सुगम साधन बने हैं पांच नियम बनाएहैं
की रोज हम आरती पूजा करें गुरु दरबार की हित चित से सेव करें
समय-समय पर महापुरुषों का दर्शन और सत्संग का लाभ प्राप्त करे
जिससे जीव के अंदर प्रभु का प्रेम जागता है
जीव के अंदर से मोह माया की मेल हटती है
और आज हमें सतगुरु देव महाराज की हिदायत देते हैं कि हर गुरमुख के लिए दो घंटा भजन अभ्यास करना बहुत जरूरी है
मलिक के नाम का सुमिरन करें
गुरमुख हो यह मालिक का नाम ही जीव को मालिक से मिलने वाला है
और मालिक का नाम लेने से सुमिरन करने से जीव परमात्मा को पा लेता है
हमारे पूज्यनीय महात्मा जी अपने सुंदर वचनों में फरमाते हैं की
नाम प्रभु का जप ले बंदे
तेरा हो जाए बेड़ा पार
नाम जपन के खातिर ही तो आया है संसार
के संत कहते हैं कि अगर दुनिया में इंसान आया है तो आया ही केवल मलिक की भजन बंदगी के लिए ही है
जो जीव मलिक को याद करें वह जीव मलिक को पा लेता है
हम रोज अपने श्री हजूर सदगुरुदेव महाराज जी के मुखारविंद से वचन श्रवण करते है
के जो निष्काम भाव से गुरु दरबार की सेवा करता है
वह मालिक को प्रसन्न करता है मलिक को पा जाता है
हम भी महापुरुषों के चरणों में यही हार्दिक प्रार्थना करते हैं
कि हम भी इसी तरह से दरबार की सेवा करते रहे
पवन श्री पंच नियमों की पालना करते हुए
हम भी महापुरुषों की प्रसन्नता को प्राप्त करें
जिससे हमारा भी यह जीवन सफल हो जाए
तो गुरुमुखों हम अपने भाग्य की जितनी सराहना करें उतनी कम है
जो हमें ऐसा सच्चा दरबार मिला है
महापुरुषों की चरण शरण मिली है