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Katha 37
Achanak Jab Koi Badi Musibat Aaye tab Kudrati taur par maddd kaise paye
हमारे रहबर जी यह कथा सुनाते थे , समझाते थे की एक की ताकत
एक राजा था धर्मी राजा , और उसकी घर वाली भी धर्मी , और घर में कोई औलाद नहीं
यज्ञ कराए , हवन कराए, जो जो जिसने कहा और सब किया
उमर होती जा रही पर गद्दी का वारिस कोई नही
सब कुछ कराके जब तक गए तो राज गुरु ने कहा
किसी बालक की बलि दी जाए तो आपके घर में पुत्र अवश्य पैदा होगा
राजा धर्मी है धर्मी... क्रोधित हो उठा
किसी बालक की बलि अपने बच्चे के लिए
सवाल ही नही उठता
महापाप है ये, इस पाप का बोझ कौन उठाएगा ,राजा ने साफ मना कर दिया
पर सारे मंत्री सारी राज्यसभा राजा को समझने लगी , अपने लिए ना सही
प्रजा के लिए सोचो , उतराधिकारी नही होगा गद्दी का वारिस कौन होगा , राज गद्दी पर कौन बैठेगा
आपको ये बात माननी ही पड़ेगी , अपने लिए नही प्रजा के लिए
राजा ने फिर भी नही मानी बात , कहने लगा नही ,
इतना बड़ा पाप तो में कभी नहीं करुगा,
जिस माता पिता के बच्चे को बलि दी जाएगी , उनकी आहें , उनकी बदाशीशे
में नही लुगा
यहां पर मंत्रियों ने सुझाओ दिया
की ढिंढोरा पिटवा देते है
की जो अपने बच्चे को अपनी मर्जी से देगा
बलि के लिए , उसके घर प्रधाथो से भर दिए जायेंगे,
जो मुंह मांगा इनाम दिया जाएगा
तब तो आपके उपर पाप नही चढ़ेगा
सारे मंत्रियों के जोर देने पर , राजा ने मन मार कर हां में हां मिला दी
ये सोचा कौन माता पिता अपने बच्चे की बलि देगा
ऐसे माता पिता कहा होगे जो अपने बच्चे की बलि देगे
हो ही नहीं सकता..
राजा ने हां कर दी
एक परिवार जिसमे ६ बालक है
गरीबी की हद की ,
५ बालक तो काम करते है , बड़ी मेहनत करते है
पर जो सबसे छोटा है , है भी बहुत छोटा , मेहनत थोड़ी करता है , सिमरन बहुत ज्यादा करता है
समाधि लगा कर बैठ जाता है
माता पिता ने विचार किया , सारे मेहनती है ,ये निखथु है
काम बहुत कम करता है और जब देखो समाधि लगा कर बैठ जाता है
क्यों न उसे राजा को दे दे बलि के लिए
हमारी गरीबी दूर हो जायेगी , हमारे पास तो ६ पुत्र है
सब की मत ले कर वो छोटे बालक को लेकर पिता चल पड़े
छोटा सा बालक है , रास्ते में पूछता है पिताजी कहा जा रहे है
पिता कह देता है तेरी बलि देने जा रहे है
छोटा सा बालक पूछता है बलि क्या होती है
पिता कहता है तेरा सर कलम कर दिया जाएगा
उसके बदले में राजा हमे बहुत सारा धन देगा
छोटा सा बालक
ये बात सुनकर हैरत भरी नजरो से पिता की तरफ देखता है
के इसने मुझे जन्म दिया है
मेरा पिता ही मुझे मारने के लिए लेके जा रहा है
हैरानी भरी नजरो से देखता है
और चुप कर जाता है
कुछ नही कहता , और चल पड़ता है साथ में
छोटा सा बालक , जिसकी खेलने की उम्र है ,पिता उसे मरवाने लेके जा रहा है
पिता अपने छोटे से बालक को लेके जा रहा है हाथ पकड़ कर
राजा के सामने पेश कर दिया
राजा ने इतने मासूम बच्चे को देखा इतना प्यारा बालक , इतना छोटा ,खेलने की उम्र इसकी ,
राजा का मन भर आया
आंखों में आंसू छुपते हुए पूछता है
तेरे पिता तेरी मर्जी से लाए है न तुझे यहां पर
तुझे पता है ना क्यों लाए हैं
पिता पुत्र को घूरता है और
बालक कहता है हां मुझे पता है मुझे क्यों लाए हैं आप मैं अपनी मर्जी से ही यहां आया हूं
मेरी बलि देने के लिए लाए हैं
राजा का
मन हिल जाता है इतने छोटे से बालक के मुख से यह बात सुनकर
पर राजा क्या करें सारे मंत्रियों का प्रेशर है उसके ऊपर
के राज प्रजा के लिए तुझे यह काम करना पड़ेगा
मन मार के राजा चुप हो जाता है तारीख तय हो जाती है
ढिंढोरा पिटवा दिया जाता है कि सारी प्रजा इकट्ठे हो जाए एक जगह पर बालक की बलि दी जाएंगी
यह घटना केवल उस बालक की नहीं है
ऐसा समा हर एक के जीवन में आता है
जब कोई भी साथ में खड़ा नहीं रहता जरूर आता है ऐसा समा
न रिश्तेदार न कोई सगा कहने का भाव वह चाह कर भी काम नहीं आ सकते ऐसी ऐसी मुसीबतें ऐसे ऐसे दुख हैं
घरवाले , रिश्तेदार , मित्र चाह कर भी आपके काम नहीं आ सकते
उस वक्त काम आएगा तो वह एक
इसलिए अपने मन को समझाया करो की
अगर अपने हृदय में बसाना है तो उस एक को बताओ
प्रेम करना है तो उस एक से करो
क्योंकि हृदय में बैठने की जगह केवल एक की है अगर हृदय में किसी और को बिठा दिया तो वह मालिक तो बैठ ही नहीं सकता
फिर पछताना पड़ेगा ऐसी ठोकर मारेगा किसी और को बिठाया होगा मालिक के अलावा
फिर इंसान कहता है मैंने बहुत बड़ी भूल की तुझ से प्रेम करके...
इसलिए फर्ज निभाओ किसी के मोह में मत पढ़ो
और ये बातों से नहीं होंगा इन चीजों से वही बच सकता है जिसके अंदर शब्द का जाप हो
प्रजा इकट्ठी हो गई तारीख आ गई कसाई भी आ गया बलि देने वाला
हाथ में उसके तलवार है
छोटा बालक भी खड़ा है , राजा के आंखों में आंसू है रानी भी घबराई हुई है
क्या करने जा रहे हैं पर कोई चारा नहीं चल रहा किसी का
आखिर में जब समा होता तो राजा कहता है बालक से कि बेटा तेरी कोई आखिरी ख्वाहिश है तो बता
वह बालक जो उदास खड़ा है कहने लगा हां मैं थोड़ी देर खेलना चाहता हूं
राजा कहने लगा ठीक है खेल लो
वह बालक क्या करता है मिट्टी इकट्ठी करता है जो वहा पड़ी रहती है
बच्चे खेलते हैं ना अक्षर मिट्टी से
काफी मिट्टी इकट्ठे करके चार डेरिया बनाता है मिट्टी के
और फिर एक डेरी के पास खड़ा होकर कुछ बोलता है बोलने के बाद उसे लात मार देता
दूसरी डेरी के पास खड़ा होकर उससे भी कुछ बातें करता है और बात करने के बाद उसे भी लात मार देता है तीसरी के पास खड़ा होकर उसे भी लात मार देता है
चौथी के पास खड़ा होता है घुटनों के बल गिर पड़ता है
कुछ बोलता है उसे भी पर लात नहीं मारता
वो बालक तीनों डेरिया को लात मार देता है पर चौथी डेयरी के आगे घुटने टेक देता है
कुछ बोलता है पर लात नहीं मरता
सारी प्रजा सारे मंत्री राजा भी यह दृश्य देख रहे हैं और हैरान हो रहे हैं यह क्या कर रहे हैं यह कौन सा खेल है यह खेल तो कभी देखा नहीं
अब थोड़ी देर बाद वह बालक उठता है और राजा को कहता है