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कहानी है आज से लगभग 300 साल पहले की।
उस समय हिंदुस्तान पर औरंगजेब का शासन था, मुगल सत्ता उतार पर थी।
ऐसे में राजस्थान की गुलाबी नगरी , जैनों की काशी जयपुर में नरेश सवाई जयसिंह का राज था।
उस समय विक्रम संवत 1777 में जयपुर निवासी साहूकार सेठ जोगीदास की पत्नी रंभा देवी के उदर से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम था टोडरमल था । ये वही टोडरमल हैं जो आगे जाकर आचार्यकल्प पंडित टोडरमल के नाम से प्रसिद्ध हुए।
राजा माधव सिंह कोई जैन विरोधी नहीं था किंतु सांप्रदायिक तनाव सांप्रदायिक दंगों के कारण वश राजनीति में कुछ मतांध लोगों के कहने पर पंडित टोडरमल जी को मृत्यु दंड देना पड़ा ।
आचार्यकल्प पंडित टोडरमल जी को मृत्यु स्वीकार थी किंतु सिद्धांतों में कोई परिवर्तन यह उन्हें स्वीकार ना था।