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एक नौकरीपेशा महिला, जिनके अपने बच्चे भी हैं, सद्गुरु से पूछती हैं कि अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच वे योग के लिए समय कैसे निकालें। सद्गुरु बताते हैं कि योग करने से शरीर व मन ज़्यादा व्यवस्थित हो जाएंगे और साथ ही जीवन की क्वॉलिटी कहीं ज़्यादा बेहतर हो जाएगी।
English video: • Where is the Time for ...
एक योगी, युगदृष्टा, मानवतावादी, सद्गुरु एक आधुनिक गुरु हैं, जिनको योग के प्राचीन विज्ञान पर पूर्ण अधिकार है। विश्व शांति और खुशहाली की दिशा में निरंतर काम कर रहे सद्गुरु के रूपांतरणकारी कार्यक्रमों से दुनिया के करोडों लोगों को एक नई दिशा मिली है। दुनिया भर में लाखों लोगों को आनंद के मार्ग में दीक्षित किया गया है।
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Transcript:
Where is the time for Yoga?
प्रश्नकर्ता: (यहां मौजूद एक महिला ने पूछा है...) प्रणाम सद्गुरु। मैं सुबह छै बजे उठती हूँ...
सद्गुरु: माफ़ कीजिए...
प्रश्नकर्ता: मैं सुबह छै बजे उठती हूँ... जल्दी से खाना बनाकर, बच्चों को तैयार करके साढ़े आठ बजे ऑफिस के लिए निकल जाती हूँ। शाम को साढ़े छै बजे घर आती हूँ, फिर बच्चों को फ़्रेश करना, खुद फ़्रेश होना, पूजा करना, खाना बनाना, होमवर्क और फिर सोना। ऐसी व्यस्त दिनचर्या के बीच, मैं योग को अपने जीवन में कैसे फिट कर सकती हूँ?
सद्गुरु: [हंसते हैं] आप छै बजे उठ जाती हैं, और रात को जिस भी समय आप सोने को जाती हैं... आपका दिन बहुत व्यस्त रहता है। तो योग करने के लिए समय कहां बचा? आपके पास खाने के लिए समय है, गप्पें मारने के लिए समय है, अपना काम करने के लिए और हर चीज़ की देखभाल के लिए समय है, लेकिन अपनी देखभाल के लिए समय नहीं है। आप मुझसे यही कह रही हैं।
यह रवैया हर समय खुद को एक बलिदान देने वाला सिद्ध करने की कोशिश है। “मेरे पास खुद के लिए समय नहीं है। मैंने खुद को दूसरों के लिए समर्पित कर दिया है।” लेकिन आप उन्हें क्या दे रहे हैं? आप अपनी चिंता, अपनी चिढ़, अपना तनाव... अपने बच्चों को दे रहे हैं, है न? अगर आपको सचमुच, सचमुच अपने बच्चों की चिंता है... अगर आपको वास्तव में अपने बच्चों की चिंता है, तो खुशी और प्यार का माहौल बनाए रखना उनके विकास के लिए सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है। उन्हें चमकदार जूते देना नहीं, उन्हें अच्छे कपड़े देना नहीं, उन्हें वीडियो गेम देना नहीं और दुनिया जहान की दूसरी चीज़ें देना महत्त्वपूर्ण नहीं है। उनके इर्द-गिर्द एक खुशी और प्यार भरा महौल बनाए रखना, हर दिन, हर पल... ये कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है उन्हें वे बकवास चीज़ें देने के बजाय, जो आप उन्हें दे रहे हैं। है कि नहीं? है कि नहीं? हाँ या ना?
तो जीवन के बारे में आपका फ़ोकस क्या है? अगर आप अपना काम और बच्चों की देखरेख वगैरह सब कर सकते हैं, तो कीजिए। अगर आप नहीं कर सकते, तो उतना ही कीजिए जितना आप से होता है।
हर इंसान केवल उतना ही कर सकता है, है न? आप दुनिया में हर चीज करना चाहेंगे तो आप निश्चित रूप से पागल हो जाएँगे। आप कितना काम कर सकते हैं, ये हर इंसान को खुद तय करना होता है। हो सकता है कि कोई सुबह छै बजे उठकर, ये सभी काम खुशी-खुशी कर ले। कोई दूसरा ऐसा नहीं कर पाता। उसी के अनुसार उन्हें अपने जीवन को व्यवस्थित करना होगा, है न?
आपने ये सारे काम अपने हाथ में लिए, इसलिए नहीं क्योंकि आप यही करना चाहते हैं। आप किसी दूसरे की तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं। यही आपकी पूरी समस्या है। आप वो सब पाना चाहते हैं, जो दूसरों के पास है। बिना जाने कि आपको वाकई इसकी ज़रूरत है या नहीं। इतना कुछ करके आपने जो भी कमाया है - आपके बच्चे, आपके पति, आपकी पत्नी या और कुछ... अब आप इनका आनंद नहीं ले पा रहा। तो आपको इस सब की क्या जरूरत है?
आपने ये सब इसलिए बनाया क्योंकि आपको लगा कि यही आपके आनंद का स्रोत है, है न? लेकिन अभी यही आपकी चिंता और दुख का कारण बन गया है। तो बेहतर होगा कि आप जीवन के बुनियादी तत्वों पर एक बार फिर गौर करें, है न? है कि नहीं? आपने पढ़ाई करी, नौकरी खोजी, शादी की, बच्चे पैदा किए, ये सब क्यों किया? क्योंकि आपको लगा कि इससे आपको खुशी मिलेगी और आपका भला होगा। है कि नहीं? पर अब वही आपकी जान ले रहे हैं। अगर ऐसा है, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए।
अगर आपसे यह सब नहीं संभल रहा है, तो शायद आपको इसे छोटे स्तर पर लाना होगा। अगर आप अपनी क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं, तो आपको वो ज़रूर करना चाहिए।
अगर आप... दिन में तीस मिनट का समय भी निकालते हैं, अपने योग के लिए, तो आप देखेंगे कि आपको बहुत फ़ायदा होगा, समय के लिहाज़ से भी। पहली चीज आपके साथ ये होगी... कि आपकी नींद के घंटे कम हो जाएँगे।
अभी अगर आप दिन में आठ घंटे सोते हैं, तो इसका मतलब, आप अपना एक तिहाई जीवन सोते हुए बिता रहे हैं, है न? अपना एक तिहाई जीवन आप बस सोते हुए बित रहे हैं। अगर आपका मन और शरीर ज्यादा ऊर्जावान और सक्रिय हो जाते हैं, तो आपके नींद के घंटे अपने-आप कम हो जाएँगे। तो अगर आपको दिन में जागे रहने के... तीन-चार घंटे ज़्यादा मिल गए... तो ये बहुत बड़ी बात होगी, है न?