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प्यारे किसान भाइयों,
माइक्रो ग्रीन फार्मिंग (Micro Green Farming), आज कल बहुत अधिक चर्चा में है, कारण है माइक्रो ग्रीन फार्मिंग के भीतर छुपा सेहत का खजाना और इस नई फार्मिंग तकनीक के ज़रिये किसान भाइयों के लिए आमदनी का एक बेहतरीन साधन I
आइए इस वीडियो से जानते हैं कि माइक्रो ग्रीन फार्मिंग कैसे करनी चाहिए और इस के लाभ क्या हैं ?
पौधे पर आने वाली पहली पत्तियां हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक हैं I इन पत्तियों की पैदावार करके बाजार में बेचने से किसान भाइयों को बहुत बढ़िया आमदनी प्राप्त हो सकती हैं I इसी कारण आजकल माइक्रो ग्रीन फार्मिंग जैसे सहायक व्यवसाय को अपनाने की आवश्यकता हैं I
अब विस्तार से जानते हैं कि माइक्रो ग्रीन फार्मिंग क्या हैं ?
एक माइक्रोग्रीन में आमतौर पर पौधे का तना, बीजपत्र और पौधे की प्रजातियों के आधार पर उसकी पहली (सच्ची पत्तियां) शामिल होती हैं I माइक्रोग्रीन का आकार (Size) 5 से 7.5 से.मी. तक होता है। यह पोषण, स्वाद, रंग, रुप और बनावट सहित विभिन्न गुणों के लिए बेशकीमती है। माइक्रोग्रीन का फसलचक्र (Crop Cycle) छोटा होता है I सूक्ष्म साग के रूप में सब्जियां 7 से 14 दिनों में और सूक्ष्म साग के रूप में जड़ी -बूटियां 16 से 25 दिनों में तैयार हो जाती हैं I
माइक्रोग्रीन का उत्पादन करने के लिए एक उत्पादक को पर्यायवरण और जरूरतों के अनुसार संसाधन विकसित करने में महारत हासिल करनी चाहिए। माइक्रोग्रीन उगाते समय पौधों की सिंचाई सुसंगत होनी चाहिए। माइक्रोग्रीन हावॅस्टिंग, उत्पादन प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है। माइक्रोग्रीन को धोना एक बहुत की महत्वपूर्ण है। यह उत्पाद (Product) का मूल्य बढ़ाता है।
पैकेजिंग बाजार के आधार पर भिन्न हो सकती है। उत्पाद लेबलिंग नियमों का पालन करते हुए पैकेजिंग से तैयार उत्याद को संपर्क विकार और क्षति (Damage) से बचाना चाहिए। सब से ज़रूरी बात उत्पाद को नुकसान से बचाने के लिए कटाई के बाद यथासंभव ठंडा रखा जाना चाहिए।
आशा हैं किसान भाइयों को यह जानकारी अवश्य पसंद आएगी I धन्यवाद !