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अकाट्य राजयोग तथा गजकेसरी योग -
जिस जातक की कुंडली में मकर लग्न में शनि हो, सप्तम भाव में सूर्य हो अष्टम भाव शुक्र हो, वृश्चिक का मंगल तथा कर्क राशि में चंद्रमा हो तो ऐसा जातक चल अचल सम्पत्ति का स्वामी बनकर राजा के समान सुखों को प्राप्त करता है।
गजकेसरी योग -
चन्द्रमा से केन्द्र में 1,4,7,10 इन स्थानों में वृहस्पति हो तो गजकेसरी योग होता है।
यदि शुक्र या बुध उच्च का या स्वगृही हों तथा वृहस्पति लग्न को स्वगृही दृष्टि से देखता हो तो प्रबल गजकेसरी योग होता है।
गजकेसरी योग में उत्पन्न जातक तीव्र बुद्धिमान, मेधावी, विवेकशील, लोकप्रिय, लोकमान्य, उच्च प्रतिष्ठित, प्रमुख राजनेता, राजनीति में दक्ष तथा अत्यंत भाग्यशाली होता है।
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