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पुत्रहीन/ सन्तानहीन योग -
जिस स्त्री की जन्म कुंडली में सूर्य व शनि सप्तम भाव में बेठें हों दशम भाव में चंद्रमा वृहस्पति से अदृष्ट हो तो ऐसी स्त्री के पुत्रहीन योग होते हैं।
जिस स्त्री का यदि लग्न में सूर्य हो और सप्तम स्थान में शनि हो तो ऐसी स्त्री के गर्भ धारण योग नहीं होतें हैं।
यदि षष्ठेश और सूर्य व शनि षष्ठ भाव में हों और बुध से दृष्ट होकर चन्द्रमा सप्तम भाव में हो तो ऐसी स्त्री के पुत्रहीन योग होते हैं।
षष्ठ भाव षष्ठेश व पाप ग्रह बैठे हों तथा 1,7 में बुध, चन्द्रमा क्रमशः बैठें हों तो ऐसी स्त्री के पुत्रहीन योग होते हैं।
जिस स्त्री की कुंडली में पंचम स्थान में कोई भी नीचस्थ ग्रह बैठा हो और पाप ग्रह की पंचम भाव पर दृष्टि हो तो ऐसी स्त्री के सन्तानहीन योग होतें हैं। ऐसा अनेक विद्वानों का मत है।
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