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भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. अनुमान है कि इस दशक के अंत तक, यह चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
इसके पास एक विशाल युवा आबादी है और इसकी बढ़ती जीडीपी, बाकी दस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर है. तेज़ी से बदलती वैश्विक व्यवस्था के बीच इसका भू-राजनीतिक महत्व भी बढ़ रहा है.
भारत की महत्वाकांक्षा अब एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने की है. लेकिन इसकी तरक़्क़ी पर गंभीर सवालिया निशान हैं. महिलाओं की वैतनिक कामकाज में भागीदारी से लेकर शिक्षा तक, लगभग हर सेक्टर में बड़ी असमानताओं के कारण भारत आज भी बेहद गरीब देश बना हुआ है. जातीय तनाव, लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट और पर्यावरण संकट जैसे अन्य मुद्दे भारत का ताना-बाना ख़राब कर रहे हैं.
हम जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या भारत इस मौके को भुना पाएगा?
00:00 भूमिका
02:01 तेज़ी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था
04:29 क्या है भारत की योजना
06:25 भारतीय अर्थव्यवस्था का ढांचा
10:35 कितने तैयार हैं भारतीय
13:42 लैंगिक असमानता
16:11 असमानता और ग़रीबी
18:24 पर्यावरण संकट, गिरते लोकतांत्रिक मूल्य, जातीय पहचान का संघर्ष
20:04 निष्कर्ष
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