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लखनऊ बिना मूर्ति वाला मंदिर होती है हर मुराद पूरी | चुनरी-घंटी बांधते ही 'माता' पूरी करती हैं मुराद
लखनऊ. राजधानी से सुल्तानपुर जाने वाली रोड पर '5 लाख घंटी वाला मंदिर' या 'मरी माता के मंदिर' पर लोगों की जबरदस्त आस्था है। लोगों का मानना है कि यहां मांगने वाली हर मुराद पूरी होती है। पिछले 15 साल से मंदिर की देखभाल सोनल कर रही हैं, इससे पहले उनके पिता मंदिर की देखभाल किया करते थे। लोगों की मानें तो मंदिर करीब 150 साल पुराना है।
नदी में गिरी बस, लेकिन यात्री सुरक्षित निकले
- एक बार लोगों से भरी बस इस पुल के नीचे गिर गई, लेकिन किसी को कुछ नहीं हुआ। लोगों को ये यकीन हो गया कि मरी माता ने उन्हें बचा लिया।
- उन लोगों ने यहां घंटी बांध दी और घंटी बाँधने की परंपरा चल निकली। ऐसा ही कुछ हुआ जब एक आदमी का एक्सीडेंट इसी पुल पर हुआ लेकिन उसको भी कुछ नहीं हुआ और उसने भी यहां घंटी बांध दी।
जब काट दी जुबान और बोलने लगा आदमी
- लोगों में ये आस्था है कि यहां जो भी मुराद मांगों वो पूरी हो जाती है। सोनल कहती हैं- बहुत पहले की बात है, एक आदमी गूंगा था। उसने यहां आकर अपनी जुबान काट दी और माता के सामने चढ़ा दी। लेकिन बिना जुबान के वो बोलने लगा और जिंदा रहा।
- इस घटना के बाद लोगों में ये विश्वास और बढ़ गया कि मंदिर में चमत्कारिक शक्तियां हैं और यहां जो भी आता है, वो घंटी बांधकर जरूर जाता है।
माता ने मेरी बच्ची को अपनी सुरक्षा में ले रखा है
- सोनल कहती हैं कि ये हाईवे है और दिन-रात यहां बड़ी-बड़ी गाड़ियां आती-जाती रहती हैं। मंदिर फूटपाथ पर है। मेरी बच्ची 6 साल की है। मैं दिनभर यहीं रहती हूं। उसने जबसे चलना शुरू किया है, कभी सड़क की ओर नहीं गई। ऐसा लगता है कि माता ने उसे अपनी सुरक्षा में ले रखा है।
घंटा बांधने की मन्नत मांगी और पत्नी ठीक हो गई
- मंदिर के पास में रहने वाले राजकुमार कहते हैं, पिछले 35 साल से मैं यहां पूजा करता हूं। एक बार मेरी पत्नी बीमार पड़ गई थी। वो चल नहीं पा रही थी। मैंने मन्नत मांगी कि अगर वो चलना शुरू कर दे, तो मैं यहां घंटा बांधूंगा।
- मन्नत मांगने के कुछ दिन बाद ही पत्नी ठीक हो गई और हमने यहां आकर घंटा बांधा।
मंदिर के सामने एक्सीडेंट हो जाए तो नहीं जाती किसी की जान
- मंदिर के पास दुकान लगाने वाले वेदप्रकाश कहते हैं, मैं मुजफ्फरनगर का हूं, लेकिन लखनऊ आता-जाता रहता था। पिछले 35 साल से मंदिर में पूजा कर रहा हूं।
- पिछले 6 साल से मैं यहीं रहने लगा। पास में दुकान हूं। ये खास बाद है, कि इस पुल पर किसी का भी अगर एक्सीडेंट हुआ तो कभी उसकी जान नहीं गई। हाइवे से गुजरने वाले बस-ट्रक के ड्राइवर भी यहां घंटी बांधते हैं।