आज के युवा भले अपनी सस्कृति विरासत को ज्यादा महत्व से न ले क्योंकि आज आसपास हमारे पास बहुत चीजे हैं जिनसे हम अपना मनोरंजन और अपनी रोज मर्रा के काम से थक कर उसे भूल कर खुदको नया स्पूर्ति भरी जिन्दगी बनाए , जबकि पहले यही त्यौहार ही थे जिनसे मनोरंजन और अपने आसपास के लोगों के मझेदार कहानी हो या खबर हो,, उन्हें गानों में पिरोया गया,, कहेना यहीं है की यही हमारी मानव सभ्यता जीवंत उदाहरण हैं जिसे हमे संभाले रखना है,, मुझे गर्व है अपनी संस्कृति पर