पल-पल जिसके मैं पंथ को देखती थी। निशि-दिन जिसके ही ध्यान में थी बिताती। उर पर जिसके है सोहती मंजुमाला। वह नवनलिनी से नेत्रवाला कहाँ है॥
@Jatt-877 Жыл бұрын
मैडम जी ! प्यारा शब्द से पहले जो ण वर्ण है वो गुरु क्यों नहीं है जबकि नियम के अनुसार संयुक्ताक्षर से पूर्व का वर्ण गुरु होना चाहिये । हरिऔध जी ने प्रिय प्रवास में छंद संबंधी भारी ग़लतियाँ की है ! फिर भी जिसे देखो वही इस उदाहरण के पीछे पड़ा है ।
@hindigyanpiyush Жыл бұрын
वो इसलिए गुरु नही है क्योंकि वो एक अलग शब्द है । एक ही शब्द में संयुक्ताक्षर से पूर्व का वर्ण गुरु होता है । वाक्य के दो अलग अलग शब्दो में ये नियम लागू नही होता
@Jatt-877 Жыл бұрын
@@hindigyanpiyush चाहे अलग ही शब्द क्यों ना हो मात्रिक छंद में ढेरों ऐसे उदाहरण है की संयुक्ताक्षर से पहले वाला वर्ण गुरु ही होगा