Рет қаралды 24,394
मकर संक्रांति क्या है?
Video Credits: www.videezy.com
पृथ्वी पर कहाँ 6 महीने का दिन और 6 महीने की रात होती है- • पृथ्वी पर कहाँ 6 महीने...
बारिश क्यों और कैसे होती है- • बारिश क्यों और कैसे हो...
सर्दी और गर्मी क्यों होते हैं- • सर्दी और गर्मी कैसे हो...
बादल काले और डरावने क्यों हो जाते है- • बादल काले और डरावने क्...
आज का विषय है की मकर संक्रांति क्या है और इसके पीछे कौन सा खगोलविज्ञान है
सम्पूर्ण भारत में अलग नाम से मनाये जाने वाले मकर संक्रांति के त्यौहार के पीछे कौन सा विज्ञान छुपा है तो चलिए आज हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं, मकर संक्रांति का त्यौहार भारत से साथ साथ अन्य देशों में भी मनाया जाता है आप में से अधिकतर लोग सोचते रहते है की मकर संक्रांति ही ऐसा त्यौहार है जो हर वर्ष बिलकुल सही डेट पे आता है यानि अग्रेज़ी दिनांक के हिसाब से आता है, नहीं तो अधिकतर सभी त्यौहार की डेट हर साल अलग होती है, वैसे पुरे विश्व में कई तरह के कैलेण्डर का प्रचलन है लेकिन भारत में आज भी दो तरह के कैलेण्डर चलते हैं, एक भारतीय कैलेण्डर जो विक्रम संवत के हिसाब से है और दूसरा अग्रेजी कैलेण्डर जो अग्रेज़ी महीनो के हिसाब से चलता है. भरतीय कैलेण्डर में तिथियाँ दिन और महीने चन्द्रमा की गणना के अनुरूप हैं जबकि अग्रेज़ी कैलेण्डर के दिन महीने और वर्ष सूर्य की गणना के अनुरूप हैं, उसके बावजूद मकर संक्राति दोनों कैलेण्डर के हिसाब से एक ही दिन होती है, जब मकर संक्रांति की तारिख दोनों कैलेण्डर में मैच होती है तो ज़रूर इसके पीछे बहुत बड़ा विज्ञान होगा तो चलिए जान लेते हैं की मकर संक्राति के पीछे क्या साइंस है.
मकर संक्रांति एक खगोलीय घटना है इसका किसी धर्म जाति या सांप्रदायिक मान्यताओं से कोई सम्बन्ध नहीं है, मकर संक्रांति दो शब्दों में मिलकर बना है मकर + संक्रांति, मकर का अर्थ तो अधितर लोग जानते है कोई मकर राशी के नाम से जानता है तो कोई मकर रेखा के नाम से. वैसे विज्ञान के अनुसार इसका सम्बन्ध मकर रेखा से ही है, मकर रेखा वो सांकेतिक रेखा है जो विश्वत रेखा और दक्षिणी धुव के मध्य भाग से होकर गुजरती है, और संक्रांति का अर्थ होता है संक्रमण यानि परागमन जिसे अग्रेज़ी में ट्रांजीशन कहते हैं, संक्रमण शब्द का अर्थ होता है एक से दुसरे में प्रवेश करना, तो मकर संक्रांति के दिन सूरज का सक्रमण होता है यानि ट्रांजीशन होता है, तो चलिए इसको विस्तार से समझ लेते हैं.
जैसा की आप सबको पता है की पृथ्वी सूर्य के चारो ओर घुमती न की सूर्य प्रथ्वी के चरों ओर, पर पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक इंसान को यही प्रतीत होता है मानो पृथ्वी नहीं बल्कि सूर्य पृथ्वी के चरों ओर घूम रहा है इसी लिए समझने की लिए हम कभी कभी सूर्य को पृथ्वी के चरों ओर घूमता हुआ मान लेते है ,
हमारी प्रथ्वी सूरज के सापेक्ष अपनी धुरी पर २३.५ अंश एक ओर झुकी हुई है और इसी वजह से पृथ्वी पर मौसम परिवर्तन, दिन रात का छोटा बड़ा होना, आदि घटनाएं होती है, गर्मी के मौसम में सूर्य कर्क रेखा की ओर और उत्तरी गोलार्ध में होता और सर्दी के मौसम में सूर्य मकर रेखा की ओर और दक्षिणी गोलार्ध में होता है. ३ जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे करीब होती है और परिक्रमण चक्र के अंतिम छोर पर होती अब इसे यहाँ से वापस लौटना होता है, इस वक्त सूर्य की स्थिति पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित होती है. ३ जनवरी के बाद पृथ्वी जब अपने परिक्रमण चक्र के अंतिम छोर से वापस लौटती है और सूर्य की स्थिति भी मकर रेखा की ओर विस्थापित होने लगती है, 14 जनवरी को सूर्य की स्थिति मकर रेखा पर लम्बवत होती है और इसी दिन से सूर्य मकर रेखा से विश्वत रेखा से होते हुए कर्क रेखा की ओर बढ़ने लगता है. इसे सूर्य का उत्तरायण भी कहा जाता है, इस तिथि के बाद से सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढ़ने लगता है,
क्योकि 14 जनवरी को ही सूर्य का मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर संक्रमण होता है यानि परागमन होता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. तो मेरे ख्याल से आप सबको अब पता चल गया होगा की मकर संक्रांति क्या है