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मनुष्य गण , अष्टकूट एवं कुंडली मिलान -
क्या होता है वर और कन्या का अष्टकूट मिलान, जानिए विवाह के लिए क्यों है जरूरी-
क्या होता है वर और कन्या का अष्टकूट मिलान, जानिए विवाह के लिए क्यों है जरूरी
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हिन्दू धर्म में जब किसी के विवाह की बात आती है तो सबसे पहला कार्य कुंडली मिलान का किया जाता है। ताकि वर वधू का आने वाला जीवन सुख-पूर्वक व्यतीत हो सके। यदि वर-वधू की कुंडली मिलती है तभी विवाह संपन्न किया जाता है, क्योंकि विवाह मिलान के लिए गुण मिलान आवश्यक माना जाता है। कुंडली में वर-वधू दोनों के वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रहमैत्री, गण, भकूट, नाड़ी आदि के मिलान को अष्टकूट मिलान कहा जाता है। किसी की कुंडली और जन्म नक्षत्र की जानकारी न होने की दशा में, वर और कन्या के नाम अक्षर के अनुसार गुण मिलान किया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि अष्टकूट मिलान में किन बातों पर विचार किया जाता है।
अष्टकूट सूत्र में दोनों के आपसी गुणधर्मों को 8 भागों में बांटा गया है। ये 8 गुण जन्म राशि एवं नक्षत्र पर आधारित हैं। दोनों की कुंडली में जन्म समय चन्द्र जिस राशि एवं नक्षत्र में होता है उन्हें जातक की व्यक्तिगत राशि एवं नक्षत्र कहा जाता है। 8 गुणों को क्रमश: 1 से 8 अंक दिए गए हैं, जो कुल मिलाकर 36 होते हैं
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