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आज इस वीडियो में Dr. Amit Dhakoji, मिर्गी / Epilepsy का इलाज कैसे किया जाता है ? (Treatment for epilepsy) इस विषय पे case study के आधार पर विस्तृत जानकारी देने वाले है।
मिर्गी / Epilepsy इस बीमारी का इलाज ज्यादातर दवाइयों से ही किया जा सकता है। 60% मिर्गी / epilepsy की बीमारी दवाइयों से ही control की जा सकती है।
इसके बावजूद जो बचे हुवे 30-40% patient है उनमें अगर continuous मतलब २ या २ से ज्यादा दवाइया लेने के बावजूद भी अगर बार बार fits के झटके आ रहे हो तो इन patients में डॉक्टर्स देखते है की क्या ये surgery से ठीक हो सकता है या नहीं। दवाइयों का ठीकसे dose लेने के बाद भी जिनको epilepsy के झटके आते है इन पेशेंट को Medically Refractory Epilepsy कहा जाता है।
ऐसे patients की treatment एक comprehensive epilepsy team करते है। इस टीम में एक epileptologist, epilepsy surgeon, neuroradiologist ,video EEG technician और neuropsychologist होते है। इन लोगो का पेशेंट को बार बार fits क्यों आ रहे है यह जाननेका मकसद होता है। इसका मतलब patient के brain का कोई पार्ट बोहोत ज्यादा active है वहा बोहोत ज्यादा sparking होती है। डॉक्टर्स Epileptogenic Zone ढूंढने की कोशिश करते है।
अगर epilepsy focal है तो ज्यादा सम्भावनाये होती है की ये उगम बिंदु Epileptogenic Zone मिल जाए और डॉक्टर्स उनको निकाल सकते है operation करके और patient की दवाइया भी इससे कम हो सकती है।
Epileptogenic Zone कैसे ढूढ़ते है ?
डॉक्टर्स इन चीज़ो की जांच करते है
-Patient के झटके किस प्रकार के है।
-MRI following epilepsy protocol करते है और abnormal area ढूंढने की कोशिश करते है।
- Video EEG - जिसमे पेशेंट के fits record करते है। इससे डॉक्टर को २ चीज़े समझ में आती है की ये
1. झटका किस तरह का है
2 . Electrically ये episode कहासे generate हो रहा है।
अगर MRI और Video EEG का data एक ही हिस्से की तरफ पॉइंट करता है तो उसको concordance कहा जाता है और ये हिस्सा अगर सर्जरी करके निकल दे तो पेशेंट मिर्गी या epilepsy के बीमारी से मुक्त हो सकता है।
Risk involved in Epilepsy surgery
इसमें ज्यादा रिस्क नहीं है। Brain के उन्ही हिस्सों को निकाला जाता है जो ज्यादातर patient में कुछ काम का नहीं होता।
कभी कभी brain के महत्वपूर्ण हिस्सों में यह मिर्गी का उगम बिंदु या Epileptogenic Zone होता है ऐसे मरीज़ो में डॉक्टर्स patient को जगे रख के (awake ) , हाथ पेअर के movements monitor करके सर्जरी करते है।
कई मरीजों मैंने operations के बाद दवाइयों का dose बोहोत कम हो जाता है। झटको का प्रमाण भी कम हो जाते है। कभी कभी brain के दोनों हिस्सों से झटके generate होते है इन patients को कभी कभी drop attacks जो काफी गंभीर होता है ऐसे patients में palliative surgery की जाती है। इससे ऐसे patients में झटको का प्रमाण कम हो जाता है।
अधिक जानकारी के लिए पूरा वीडियो अंत तक देखिये।
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