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कथा सम्राट प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस स्टेट के लमही गांव में हुआ था। पिता ने नाम रखा धनपत राय। चाचा ने नवाब राय। लिखने की शुरुआत उर्दू से की बाद में हिन्दी में लिखने लगे। शुरुआती सालों में वो नवाब राय नाम से लिखते हैं लेकिन अंग्रेज सरकार द्वारा “सोजे वतन” कहानी संग्रह जब्त किए जाने के बाद वो प्रेमचंद नाम से लिखने लगे। आठ अक्टूबर 1936 को बनारस में ही उनका निधन हुआ। गोदान, गबन, कर्मभूमि, सेवा सदन जैसे अमर उपन्यास और ईदगाह, ठाकुर का कुआं, बड़े भाई, पूस की रात जैसी सैकड़ों कहानियां लिखने वाले प्रेमचंद अपने समय से आज तक हिन्दी-उर्दू उपन्यासकार माने जाते हैं। उनके बारे में सैकड़ों शोध प्रबंध और दर्जों संस्मरण लिखे गए होंगे लेकिन वो व्यक्ति के रूप में कैसे थे ये सबसे मार्मिक तरीके से उनकी पत्नी शिवरानी देवी के लिखे से सामने आता है। शिवरानी देवी प्रेमचंद की दूसरी पत्नी थीं। वो बाल विधवा थीं। पहली पत्नी से प्रेमचंद के संबंध मधुर नहीं थे लेकिन शिवरानी देवी सही मायनों में जीवनसंगिनी थीं। 1944 में शिवरानी देवी ने प्रेमचंद से जुड़ी अपनी यादों को “प्रेमचंद घर में” नामक किताब में सहेजा। प्रेमचंद कई बार शिवरानी देवी के मनचाहे भावों पर भी कहानी लिख दिया करते थे। प्रेमचंद की चिट्ठी में उनका उनकी पत्नी के प्रति आशक्ति और अनुराग का पता चलता है। चिट्ठियाँ के इस एपिसोड में आज आप एक छोटी सी चिट्ठी सुनिए जो उनके अपनी पत्नी को याद करते हुए लिखा।
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