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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
पुराणों के अनुसार बताया जाता है कि गुजरात प्रांत में एक सुप्रिय नाम का वैश्य रहता था, जो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था। वह भोजन और जल ग्रहण करने से पूर्व तल्लीन होकर भगवान शिव की पूजा और अर्चना करता था। वहीं दारुक नाम का एक राक्षस सुप्रिय को बहुत तंग करता था और उसकी पूजा में हमेशा ही विघ्न उत्पन्न करता था। एक बार सुप्रिय को दारुक ने उसके मित्रों सहित पकड़कर कैद कर लिया।
सुप्रिया उसके कैद में भी भगवान शिव की निरंतर पूजा अर्चना करते रहा। वहीं जब कैदी अवस्था में भी सुप्रिय द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना की बात दारुक ने सुनी, तब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह सुप्रिय को खत्म करने के इरादे से उसके पास आया।
दारूक को पास देख कर सुप्रिय डरा नहीं, लेकिन अपने मित्रों की चिंता उसे ज़रूर सताए जा रही थी। उसने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह आकर उसके मित्रों की रक्षा करें। भगवान अपने भक्तों की बात को कैसे टालते?
ठीक तभी भगवन शिव वहां प्रकट हुए और सुप्रिय को पाशुपतास्त्र प्रदान कर दारुक राक्षस को खत्म करने को कहा। इस घटना के बाद सुप्रिय अपने जन्म जन्मांतर से मुक्त होकर भगवान शिव के धाम को चला गया और उस स्थान पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हो गई।
Video Name - Om Namah Shivay #Episode-51
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