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धमतरी जिले के नगरी मुख्यालय से लगभग 2 किमी की दूरी में स्थित है अगस्त्य ऋषि आश्रम।
मान्यता है
कि त्रेता युग में 14 बरस के वनवास काल के दौरान श्री राम भगवान अगस्त्य ऋषि के दर्शन के लिए यहां आए थे।
श्रध्दालु के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान होने के बाद भी इस आश्रम के विकास पर शासन-प्रशासन द्वारा ध्यान नही
दिया गया है।
आश्रम में जो भी विकास कार्य हुए हैं ,उनमें से अधिकतर कार्य ग्राम वासियों द्वारा जन सहयोग से
कराया गया है।
पर्वत शिखर पर मंदिर का निर्माण भी ग्राम वासियों द्वारा जन सहयोग से किया जा रहा है।
पौराणिक
गाथाओं में महर्षि अगस्त्य जिन्हें कुंभज ऋषि के नाम से भी हम जानते हैं,जो बड़े प्रतापी ऋषि थे।
एक समय दैत्यौं
ने संसार में बड़ा उत्पात मचा रखा था।
आश्रम के पुजारी के अनुसार दैत्य दिनभर समुद्र तल में विश्राम करते थे और
रात्रि में निकल कर ऋषि-मुनियों ,मनुष्य का वध करते थे तब ऋषि-मुनियों व सभी के आग्रह पर अगस्त्य ऋषि ने
समुद्र के जल को सुखा दिया। व समुद्र तल में छुपे हुए दैत्यों का संहार किया।
पर्वत के नीचे आश्रम के नजदीक
सोनगंगा कुंड का जल पवित्र माना जाता है कहते हैं की इस कुंड के जल में स्नान करने से असाध्य चर्म रोगों से
छुटकारा मिलता है।
राम वनपथ गमन प्रोजेक्ट में अगस्त्य ऋषि आश्रम का नाम होने के बाद भी यहां सरकार द्वारा
अब तक आश्रम के विकास के लिए किसी तरह का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है ।
पर्वत शिखर पर मंदिर निर्माण
कार्य ग्राम वासियों के सहयोग से किया जा रहा है।
पेयजल जैसे मूलभूत सुविधाओं से भी यह आश्रम वंचित है ।
ग्रामवासी के अथक परिश्रम से पर्वत शिखर तक मंदिर निर्माण हेतु निर्माण सामग्रियों को पहुचाया जाता रहा है।
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